इसके बाद उसके पति व परिवार के अन्य लोगों को बुलाया जाता है। इसके बाद समझाइस का दौर शुरू होता है। पति व पत्नी को अलग-अलग बुलाकर समझाइस की जाती है। दोनों पक्ष अपनी गलतियां मान लेते हैं तो उनको एक साथ बुलाया जाता है। इसके बाद उनको छह माह या तीन माह बाद फिर आने के लिए कहा जाता है। ऐसे में यदि कोई समस्या हो तो उसका बाद में पता चल सके।
इन परिवादों के दौरान समझाइस में यह बात निकलकर आई है कि अक्सर झगड़े पति के नशा करने के कारण हो रहे हैं। इसके चलते परिवारों में तकरार बढ़ रही है। दूसरी वजह यह है कि आधुनिकता की दौड़ में लड़कियां शादी के बाद अपने पति के साथ अकेला रहना चाहती है और परिवार की बंदिशों को सहन नहीं करती। वहीं पति व पत्नी में सहनशक्ति का अभाव भी परिवारों के विवादों का कारण बना हुआ है। कई मामलों में देखा गया है कि पति अपने परिवार के साथ रहना चाहता है लेकिन पत्नी अलग रहना चाहती है। इसके चलते दोनों में खींचतान बढ़ती जाती है और मामला पुलिस या केन्द्र तक पहुंच जाता है।
परिवादों में आधे ही सही पाए जाते हैं
– केन्द्र पर आने वाले परिवादों में जांच व काउंसलिंग आदि करने के बाद पता चलता है कि आधे परिवाद तो वास्तविक होते हैं और आधे किसी के कहने या भड़काने के कारण दिए जाते हैं। सही प्रकरणों में दोनों पक्षों से समझाइस की जाती है। यदि समझाइस से बात नहीं बनती है तो कुछ मामलों को थाने भेज दिया जाता है। जहां भी कमेटी समझाइस का प्रयास करती है। इसके बाद ही मामला दर्ज किया जाता है।
सीएम पोर्टल भी आ रही शिकायतें
– महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए ऑनलाइन सीएम पोर्टल पर भी शिकायतें आ रही हैं। अब तक जिले से आठ शिकायतें मिली है। इनमें दो बालिकाओं ने अपने परिजनों से खतरा बताया, जिनको वहां से लाकर विवेक आश्रम में रखा गया। इसके अलावा ऐसी ही अन्य शिकायतें मिली, जिनमें युवतियां अपनी मनमर्जी से जाना चाहती है और परिजन उन्हें जाने नहीं देते।
इनका कहना है
– केन्द्र पर आने वाले परिवादों में समझाइस व चर्चा के दौरान सामने आया है कि नशा व आधुनिकता की दौड़ के चलते दांपत्य में दरार आ रही है। वहीं कुछ प्रकरण गलत भी आए हैं। इसके अलावा समझाइस कर कई घर बसाए हैं। इसके अलावा सीएम पोर्टल पर भी शिकायतें आ रही हैं, जिनका निस्तारण किया जा रहा है।
वंदना गौड़, प्रभारी महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र श्रीगंगानगर।