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उन्नाव

जिंदगी का संघर्ष: बेटे का मिलेगी नई जिंदगी बस इसी उम्मीद में मां, गरीबी आ रही आड़े

सादुलशहर तहसील क्षेत्र के गांव मन्नीवाला का युवक अनिल गोदारा (25 वर्ष) चार साल से जिंदगी से संघर्ष कर रहा है।

उन्नावOct 18, 2016 / 10:01 am

सोनाक्षी जैन

patient of tb

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श्रीगंगानगर. 

सादुलशहर तहसील क्षेत्र के गांव मन्नीवाला का युवक अनिल गोदारा (25 वर्ष) चार साल से जिंदगी से संघर्ष कर रहा है। वह टीबी रोग से पीडि़त है और उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, जो उसके उपचार में रोड़ा बनी हुई है, लेकिन उसकी मां को उम्मीद है कि कोई न कोई सामाजिक संस्था या कोई व्यक्ति आगे आएगा और उपचार में मदद मिलने से उसके बेटे को नई जिंदगी मिल जाएगी। 
वह इस उम्मीद में है लेकिन बेटे की हालत देख कर वह रो पड़ती है और कहती है कि हे भगवान मेरे बेटे जैसी हालत किसी अन्य बेटे की मत करना। वह कहती है कि अनिल चार साल पहले जोधपुर में पटवारी की परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस दौरान वह टीबी जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया। वर्तमान में उसका उपचार जयपुर स्थित महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
टीबी पहुंची एमडीआर स्टेज तक

श्रीगंगानगर टीबी अस्पताल से उपचार शुरू करवाया, दवा गर्म होने से वह सही तरीके से दवा ले नहीं ले पाया। इस कारण उसकी टीबी एमडीआर ट्यूबरक्लोस्सि तक पहुंच गई। इस बीच वह श्रीगंगानगर जिला चिकित्सालय में एक महीने तक भर्ती रहा। यहां के डॉक्टर ने उसे बीकानेर रेफर कर दिया।
 इसके बाद उसका बीकानेर पीबीएम स्थित टीबी अस्पताल में उपचार चला, यहां से कोई ज्यादा राहत नहीं मिली तो फिर जयपुर एसएमएस में भी उपचार लिया। सही उपचार नहीं मिलने से उसकी हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है और उसकी काया खोखली हो गई है। 
उपचार के लिए भूमि रहन रखी

उसकी मां सलोचना देवी रोते हुए कहती है कि अब फिर उसको जयपुर अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाना है। पिता मजदूरी करता है और उससे घर का खर्चा ही नहीं चल पा रहा है। चार बीघा भूमि बेटे के उपचार के लिए रहन रखी हुई है। 
अब उपचार के लिए परिवार और रिश्तेदारों से पैसे उधारी पर लेकर चार साल तक उपचार करवाया। लेकिन अब इस परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से अनिल के उपचार में बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है। 
हिम्मत नहीं हारी, अब जयपुर में उपचार

हालत खराब होने पर अनिल कुमार जयपुर में महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ। वहां पर एक माह तक भर्ती रहा। वहां पर उसके दवा लग गई। उसका वजन सवा किलो बढ़ गया और उसकी स्थिति पहले से ठीक है। 
लेकिन वहां पर अब भर्ती रहकर उपचार करवाना इस परिवार के लिए मुश्किल बना हुआ है। एक बार वह 15 दिन की दवा लेकर गांव मन्नीवाल आ गया। 

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