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श्री गंगानगर

प्रकाशोत्सव पर गूंजे वाहे गुरु के जयकारे

Shouts of Guru on the occasion of Prakashotsav- सिंहसभा गुरुद्वारे में सिख संगतों में उमड़ा सैलाब

श्री गंगानगरJan 20, 2021 / 07:32 pm

surender ojha

प्रकाशोत्सव पर गूंजे वाहे गुरु के जयकारे

प्रकाशोत्सव पर गूंजे वाहे गुरु के जयकारे

श्रीगंगानगर. इलाके के सिंहसभा गुरूद्वारा में खालसा पंथ के संस्थापक व सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का 354वां प्रकाशोत्सव बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस गुरूद्वारा साहिब में बुधवार को रागी जत्थे और हजूरी जत्थों ने वाहे गुरु का सिमरण कर साध संगतों को निहाल किया।
इस गुरु घर में हजूरी भाई सुखविन्द्र सिंह, हरनके सिंह, दाढी जत्थे रमेश सिंह ने शब्द कीर्तन के माध्यम से माहौल भक्तिमय बना दिया। सुबह से ही सिख समुदाय के श्रद्धालुओं की आवाजाही का सिलसिला शुरू हो गया, यह देर शाम तक जारी रहा। इस गुरुद्वारे में अलग अलग समाजसेवी संस्थाओं ने अपनी जिम्मेदारी संभाली। विसरा ए खालसा संस्था की ओर से नाश्ते की व्यवस्था की। वहीं सर्व सेवा फाउडेशन की ओर से मास्क और सैनेटाइजर वितरित किए गए।
इसके अलावा खालसा सेवा सोसाइटी की ओर से दूध और चाय की स्टालें लगाई गई। वहीं कई श्रद्धालुओं ने लंगर और बर्तन मांजने के लिए अपनी सेवाएं देकर गुरु घर में अपनी अरदास लगाई। इस मौके पर नगर परिषद के पूर्व सभापति जगदीश जांदू, श्रीगंगानगर विधायक सहित कई जनप्रतिनिधियों के पहुंचने पर गुरुद्वारा प्रबंध समिति की ओर से सरोपा भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
गुरुद्वारे में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम था वहां आए हुए हर श्रद्धालु को प्रसादा देने का। सेवादारों में महिलाएं और पुरुषों में सेवा करने की एेसी ललक देखी गई कि अपना नाम बताने की बजाय बस सेवा को ही सर्वोपरि बताते हुए वहां झूठन साफ कर बर्तन मांजने लगे।
किसी ने दाल बनाने तो किसी ने सब्जी काटने का काम किया। रोटियां लंगर के दौरान कम नहीं हो, एेसे में सेवादार युवक व युवतियों श्रद्धा से सेवा करते नजर आए। यहां तक कि जूते और चप्पले रखने के स्टाल पर भी सेवादारों ने बिना संकोच से सेवा करने के कार्य को गुरु का आदेश मानकर किया।
ज्ञात रहे कि ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं तां गोविंद सिंह नाम धराऊंÓ …सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह की ओर से 17 वीं शताब्दी में कहे गए ये शब्द की आज भी जरुरत है। अत्याचार और भय के विरुद्ध, शक्ति के दुरुपयोग के विरुद्ध, निहत्थे और बेबसों पर होने वाले जुल्म के विरुद्ध आत्मविश्वास की प्ररेणा देता है। एक चिडय़िा को बाज से लड़ा सकता है, उस विश्वास की जो गीदड़ को शेर बना सकता है, उस भरोसे की जिसमें एक अकेला सवा लाख से जीत सकता है।
उन्होंने जो कहा वो करके भी दिखाया था। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की रक्षा के लिए कई बार मुगलों का सामना किया था। सिखों के लिए 5 मर्यादाएं केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को पांच ककार कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।
इधर, निकटवर्ती गांव कालियां के गुरूद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाशोत्सव बड़ी श्रद्धा व सम्मान पूर्वक मनाया गया। गुरूद्वारा प्रधान निर्मल सिंह ने बताया कि इस अवसर पर गुरूद्वारा साहिब में सुबह श्री अखण्ड पाठ साहिब के भोग के बाद कीर्तन दीवान सजाया गया।
पंज प्यारों की अगुवाई में नगर कीर्तन निकाला गया। यह नगर कीर्तन गांव की प्रक्रिया के दौरान गुरूद्वारा अमर शहीद धन-धन बाबा जीवन सिंह में पहुंचा। जहां गुरुद्वारा प्रधान मुखा सिंह के नेतृत्व में रणजीत मट्टू व फिल्मी कलाकार अमन अबोहर, गुरुद्वारा कमेटी के सदस्यों बलविंदर मट्टू,अशोक नागपाल, काबल सिंग, रामगोपाल टेलर, बिंदा सिंह, सतनाम सिंह, रिंका सिंह आदि ने स्वागत किया। इलाके की समृद्धि व खुशहाली के लिए अरदास की। इस दौरान समूह संगत में ब्रैड-पकौड़े व चाय का लंगर बरताया गया।

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