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श्री गंगानगर

राजस्थान को हिस्से का पानी नहीं देने का राग फिर अलापा, भारतीय किसान यूनियन शुरू करने जा रही है आंदोलन

अंतरराज्यीय समझौते के तहत राजस्थान को मिल रहे उसके हिस्से के पानी का पंजाब में एक बार फिर विरोध हुआ है। इस बार विरोध किसी राजनीतिक दल ने नहीं बल्कि किसान और खेती के हित की वकालत करने वाली भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने किया है।

श्री गंगानगरDec 11, 2023 / 02:14 pm

Kirti Verma

sriganganagar

अंतरराज्यीय समझौते के तहत राजस्थान को मिल रहे उसके हिस्से के पानी का पंजाब में एक बार फिर विरोध हुआ है। इस बार विरोध किसी राजनीतिक दल ने नहीं बल्कि किसान और खेती के हित की वकालत करने वाली भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने किया है। राजेवाल ने इस मुद्दे को लेकर 18 जनवरी से चंडीगढ़ में पड़ाव डालने की घोषणा करते हुए सभी किसान यूनियनों से समर्थन मांगा है। श्रीगंगानगर जिले के किसान नेताओं ने राजेवाल के इस बयान का विरोध किया है। राजस्थान को पानी नहीं देने के बारे में कांग्रेस और अकाली दल के नेता राजनीतिक फायदे के लिए समय-समय पर बयान देते रहे हैं। अब किसान यूनियन के नेता राजेवाल ने किसान जत्थेबंदियों को एक मंच पर लाने के लिए वही पुराना राग अलापा है।

 

रावी, व्यास और सतलुज नदियों का पानी अंतरराज्यीय समझौते के तहत राजस्थान को मिलता है। इसके बावजूद पंजाब के राजनीतिक दलों की राजनीति का हिस्सा राजस्थान को मिलने वाला पानी भी है। कांग्रेस के शासन में विधानसभा में पानी नहीं देने का प्रस्ताव पारित हुआ तो अकाली दल भी समय-समय पर पानी नहीं देने की धमकी देता रहा है। इसी साल इंदिरा गांधी नहर में बंदी के दौरान राजस्थान के अतिरिक्त पानी की मांग पर आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सहमति जताई तो कांग्रेस और अकाली दल ने इतना ज्यादा विरोध किया कि मान को यह कहना पड़ा कि राजस्थान ने अपने हिस्से का पानी पहले ही ले लिया। अब अतिरिक्त पानी नहीं मिलेगा।

आंदोलन हुआ तो मिला पानी
इसी साल गंगनहर में शेयर के अनुसार पानी नहीं मिलने पर किसानों ने आंदोलन किया तो मामला केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय तक पहुंचा। उसके बाद केन्द्रीय जल आयोग व बीबीएमबी के अधिकारियों ने पंजाब व राजस्थान के अधिकारियों के साथ हरिके हैडवर्क्स, फिरोजपुर फीडर व गंगनहर का निरीक्षण किया तो शेयर के अनुसार पानी मिलना शुरू हो गया। तब से लेकर आज तक किसानों को पानी के मसले पर कोई खास दिक्कत नहीं आई।

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किसान नेता नहीं राजेवाल
पहली बात तो यह कि राजेवाल किसान नेता नहीं, राजनीतिक नेता है। उनका यह बयान किसानों का भाईचारा तोड़ने वाला है। राजेवाल को शायद यह पता नहीं कि विभाजन से पहले बनी गंगनहर का फायदा पंजाब के किसानों को भी मिला है। वहां से विस्थापित हुए किसान यहां आकर स्थापित हुए हैं। राजेवाल के बयान का कोई मतलब नहीं। राजस्थान अपने हिस्से का पानी ले रहा है और लेता रहेगा।
रणजीत सिंह राजू, संयोजक, ग्रामीण किसान मजदूर समिति

हिस्से का पूरापानी नहीं
यह बात सही है कि राजस्थान को उसके हिस्से का पूरा पानी कभी नहीं मिला। हैडवर्क्स पर नियंत्रण पंजाब को होने के कारण उसकी मनमानी को राजस्थान चुपचाप सहता आया है। राजस्थान के हिस्से के 8.6 एमएएफ पानी के हिस्से में से .6 एमएएफ पानी का मसला पंजाब ने सालों से अटका रखा है। यह पानी इंदिरा गांधी नहर का काम पूरा होने पर देने का वादा पंजाब ने किया था। वर्तमान में इंदिरा गांधी नहर का दूसरा चरण पूरा हो चुका है तथा सात और जिलों को पेयजल के इंदिरा गांधी नहर का पानी मिलने लगा है तो हिस्से का शेष पानी मांगने का हक राजस्थान का बनता है।

पानी के बदले पैसे दो
किसान नेता राजेवाल ने राजस्थान को पानी नहीं देने का जो राग अलापा है उसमें पानी पर पंजाब का हक बताते हुए कहा है कि अगर राजस्थान को पानी लेना है तो जितना पानी उतने पैसे देने पड़ेंगे। अपने बयान में राजेवाल ने यह तुर्रा भी जोड़ा है कि राजस्थान 1995 तक पानी के बदले पैसे देता रहा है। वास्तविकता इसके विपरीत है। राजस्थान नहरों की मरम्मत के नाम पर हर साल पंजाब को पैसे देता है , क्योंकि राजस्थान की नहरों का जो हिस्सा पंजाब में पड़ता है, उसकी मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी अपने पास रखी है। इसकी एवज में राजस्थान को हर साल कुछ राशि पंजाब को देनी पड़ती है। राजेवाल ने शायद इसी राशि को पानी की एवज में दी जाने वाली राशि मान ली है।

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राजस्थान को जो पानी मिल रहा है, वह अंतरराज्यीय समझौते के तहत मिल रहा है। जिन नदियों के पानी पर पंजाब अधिकार जता रहा है, उनका उदगम कहां से है। पोंग बांध बना तो वहां के विस्थापिताें को जमीन किसने दी। पंजाब और राजस्थान के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता राजेवाल को पता नहीं। अगर वह आंदोलन करेंगे तो यहां का किसान चुप थोड़े ही बैठेगा। हक की लड़ाई यहां का किसान भी लड़ेगा।

एडवोकेट सुभाष सहगल, प्रवक्ता किसान संघर्ष समिति

https://youtu.be/1QTko_HUUPw

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