आधा तो पेचवर्क हो गया है और आधा भी शेष है। यहां लगे श्रमिक पेवचर्क में गड्ढों में डामर के बजाय काले रंग का तरल पदार्थ डालते दिखाई दिए। वहां जब लोगों ने श्रमिकों से पूछा कि यह डामर है तो उन्होंने कहा कि यह डामर ही है। जबकि वहां डामर पिघलाने के लिए आग की कोई व्यवस्था नहीं थी। लोगों ने बताया कि यह जला हुआ ऑयल जैसा पदार्थ है। जिसको डालकर पेचवर्क में खानापूर्ति की जा रही है। इसके चलते पेचवर्क एक ही बारिश नहीं झेल पाएगा। मौके पर मौजूद ठेकेदार के लोगों ने बताया कि यह काला पदार्थ एमुलेशन है, जो रोडी को गड्ढे में सैट करने के काम आता है। इसके बाद डामर मिली रोडी डाली जाती है।
सीवर लाइन खुदाई के बाद धूल धूसर हुआ अस्पताल
– अस्पताल के बाहर बारिश में बैठ जाती है सीवर लाइन की मिट्टी
श्रीगंगानगर. राजकीय चिकित्सालय परिसर में सीवर लाइन डालने के लिए हुई खुदाई के बाद गड्ढ़ों को ठीक से बंद करने के कारण बारिश में मिट्टी नीचे बैठ जाती है। इसके अलावा वहां खुदाई में निकली मिट्टी के कारण अस्पताल परिसर धूल धूसर हो रहा है।
पिछले करीब दो माह से राजकीय चिकित्सालय में सीवर लाइन डालने के बाद गड्ढ़ों के कारण मरीजों व उनके परिजनों को आने-जाने में परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है। हल्की सी बारिश के बाद ही यहां मिट्टी नीचे बैठ जाती है। इसके चलते लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है। वहीं लाइन के दोनों तरफ मिट्टी जमा होने के कारण वाहनों के आने-जाने से दिनभर धूल उड़ती रहती है। जिससे मरीजों को खासी दिक्कत होती है। इस कारण से परिसर में सफाई व्यवस्था भी ठप पड़ी है।
अस्पताल गेट के बाहर भी यही स्थिति बनी है। यहां मोर्चरी के पास से लेकर इमरजेंसी व मुख्य गेट तक सीवर लाइन डाली गई है। अस्पताल में प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज व उनके परिजन आते-जाते हैं। सीवर लाइन के गड्ढ़ों के कारण उनको परेशानी होती है। अस्पताल के गेट से लेकर इमरजेंसी तक सीवर लाइन पर पेचवर्क किया जा रहा है, जबकि अन्य स्थानों की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एमसीएच वार्ड की तरफ जाने वाले रास्ते में भी रास्ता उबड़ खाबड़ बना हुआ है, जहां दिनभर प्रसूताओं का आना-जाना लगा रहता है।