प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि याचिका में प्रार्थी के खिलाफ बूंदी में 2017 में दर्ज एफआइआर व ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रद्द करने का आग्रह किया गया था। तथ्यों के अनुसार अविनाश चानना ने बूंदी रियासत की संपत्ति को लेकर वर्ष 2017 में दिल्ली स्थित सफदरजंग थाने में शिकायत दर्ज कराई, जो ट्रांसफर होकर बूंदी पहुंची और वहां कोतवाली थाने में एफआइआर दर्ज हो गई।
चानना की ओर से आरोप लगाया गया कि बूंदी रियासत की संपत्ति की वसीयत 30 मार्च 2009 को उसके पक्ष में की गई, लेकिन जितेन्द्र सिंह व अन्य ने उसे अपने पक्ष में कर लिया। चानना ने संपत्ति को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में प्रोबेट दायर की, वहीं जितेन्द्र सिंह ने बूंदी न्यायालय में दावा पेश किया, जिसमें कहा गया कि रणजीत सिंह व बहादुर सिंह की संपत्ति कुलदेवी आशापुरा के नाम समर्पित कर दिया और वे उसके सेवायत हैं।
इसी बीच, वर्ष 2018 में एफआइआर में एफआर लग गई तो चानना ने इसे प्रोटेस्ट पिटिशन के जरिए चुनौती दी। अविनाश की मृत्यु होने पर बेटे समीर व सुनील ने इसे जारी रखा। सीजेएम कोर्ट ने जितेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान लेकर उन्हें गिरफ्तारी वारंट जारी कर तलब किया। इसे निगरानी कोर्ट में चुनौती देने पर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया, लेकिन प्रसंज्ञान सही माना था। इसी दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने संपत्ति के कुलदेवी के नाम समर्पणनामा को सही माना था।
इसके बाद पक्षकारों में राजीनामा हो गया, जिसके आधार पर हाईकोर्ट से एफआइआर व ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रद्द करने का आग्रह किया गया। इसके आधार पर हाईकोर्ट ने एफआइआर व बूंदी अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही को रद्द कर दिया है।