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अलवर

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद 14 मई को अलवर में, रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के समय आये थे चर्चा में

ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अलवर जिले में आ रहे हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे और कहा था कि मंदिर में अगर प्रतिष्ठा हो रही तो मंदिर पूरा बना हुआ होना चाहिए।

अलवरMay 10, 2024 / 02:26 pm

Rajendra Banjara

ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अलवर जिले में आ रहे हैं। इस दौरान वे विभिन्न धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर आशीर्वचन देंगे। मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया शंकराचार्य जी 12 मई को भगवान केदारनाथ व बद्रीविशाल के कपाट खोलने के बाद सीधे जयपुर के प्रस्थान करेंगे व जयपुर में रात्रि विश्राम करेंगे। वे 14 मई को दोपहर 3 बजे अलवर पहुंचेंगे। यहां धर्मसभा में उनके आशीर्वचन होंगे। साथ ही वे धार्मिक जिज्ञासाओं को भी दूर करेंगे। वे 15 मई को भरतपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।

कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जोशीमठ , उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के 46वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। वह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य थे और सितंबर 2022 में उनकी मृत्यु के बाद, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का कार्यभार संभाला।

रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान चर्चा में आये थे

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे और कहा था कि मंदिर में अगर प्रतिष्ठा हो रही तो मंदिर पूरा बना हुआ होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रों के खिलाफ है। साथ ही शंकराचार्य ने कहा था कि मंदिर भगवान का शरीर होता है, उसके अंदर की मूर्ति आत्मा होती है। मंदिर का शिखर भगवान की आंखें हैं। कलश भगवान का सिर है और मंदिर में लगा झंडा भगवान के बाल हैं। बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है।

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