कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जोशीमठ , उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के 46वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। वह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य थे और सितंबर 2022 में उनकी मृत्यु के बाद, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का कार्यभार संभाला।
रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान चर्चा में आये थे
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे और कहा था कि मंदिर में अगर प्रतिष्ठा हो रही तो मंदिर पूरा बना हुआ होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रों के खिलाफ है। साथ ही शंकराचार्य ने कहा था कि मंदिर भगवान का शरीर होता है, उसके अंदर की मूर्ति आत्मा होती है। मंदिर का शिखर भगवान की आंखें हैं। कलश भगवान का सिर है और मंदिर में लगा झंडा भगवान के बाल हैं। बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है।