ज्ञानवापी को लेकर आदेश देने वाले जज ने बरेली में किया मौलाना तौकीर को तलब अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में कहा कि ज्ञानवापी प्रकरण में वाराणसी में मैंने ही फैसला दिया था। इस वजह से एक धर्म विशेष के लोगों और अधिकारियों का रवैया मेरे प्रति अजीब सा हो गया है। जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि लखनऊ में रहने वाली मेरी मां, शाहजहांपुर में तैनात सिविल जज भाई, मेरी पत्नी और बच्चे सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। मार्च 2010 में बरेली में दंगा भड़काने वाले मौलाना तौकीर का नाम पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है। मुकदमे की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी कि तत्कालीन एसएसपी, डीआईजी, आईजी, कमिश्नर और डीएम ने विधिक रूप से कार्य न करके सत्ता के इशारे पर कार्य किया। अधिकारियों ने 2010 के दंगे के आरोपी और मुख्य मास्टर माइंड मौलाना तौकीर रजा खां का सहयोग किया।
दो मार्च 2010 को बरेली में हुआ था दंगा, कोर्ट ने मौलाना को माना मुख्य मास्टर माइंड दो मार्च 2010 को मोहल्ला सौदागरान के रहने वाले आला हजरत परिवार से ताल्लुक रखने वाले आईएमसी के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने जन समूह को भड़काऊ भाषण दिया। भीड़ ने पुलिस चौकी को फूंक दिया। हिन्दुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया। मौलाना तौकीर और उनके समर्थकों के खिलाफ बलवा, सरकारी काम में बाधा, 7 क्रिमिनल ला अमेडमेंट एक्ट, जानलेवा हमला, धार्मिक भावनाएं भड़काने, लोक संपत्ति निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने इसको आधार मानते हुए मौलाना तौकीर को समन जारी कर 11 मार्च को तलब किया है।