मध्यप्रदेश के 12 लाख सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के संगठन ने मिलकर सभी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। सभी की मांग है कि केंद्र सरकार के समान 8 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने कर्मचारियों को 8 फीसदी महंगाई भत्ता दे दिया, उसी प्रकार राज्य की मोहन सरकार भी 8 फीसदी महंगाई भत्ता देना चाहिए था। यदि इससे कम महंगाई भत्ता दिया जाता है तो पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारियों से 4 फीसदी महंगाई भत्ते में पीछे हैं। केद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए 50 फीसदी महंगाई भत्ता कर दिया है, वहीं मध्यप्रदेश में फिलहाल 46 फीसदी महंगाई भत्ता देने की घोषणा हाल ही में की गई है। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी 4 फीसदी से पीछे रह गए हैं।
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने शुक्रवार को 4 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने का फैसला किया है। जबकि कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि यूपी सरकार की तरह एमपी सरकार भी 50 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाएगा। उम्मीद की जा रही थी कि लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता से पहले एमपी के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की सौगात मिल सकती है, लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी (umashankar tiwari) का कहना है कि हमेशा से ही मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की अनदेखी होती रहती है। केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता देने का वादा करने वाली सरकार को 4 फीसदी महंगाई भत्ता अपने कर्मचारियों को देना है।
प्रदेश में 8 फीसदी महंगाई भत्ते की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में कर्मचारी और पेंशनर्स धरना-प्रदर्शन किया। इसके लिए मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के 52 संगठनों को मिलाकर एक संयुक्त मोर्चा बनाया है। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आव्हान पर पूरे प्रदेश में शुक्रवार को यह आंदोलन किया गया। कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी को मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा को भोपाल का अध्यक्ष बनाया गया है। तिवारी का कहना है कि शासकीय कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त 12 लाख कर्मचारियों को 8 माह से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत नहीं दिया जा रहा है, जबकि 12 साल से वाहन भत्ता और मकान किराया भत्ता नहीं बढ़ाया जा रहा है। महंगाई के दौर में वेतन भत्ते न बढ़ने से आर्थिक परेशानी का सामना कर्मचारी एवं उसके परिवार को करना पड़ता है।
तिवारी ने बताया कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ समय पर न देकर सरकार अन्य योजनाओं पर पैसा खर्च कर रही है। जबकि सरकारी कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी इंसान होते हैं। हमको और हमारे परिवार को भी त्यौहार के मौके पर पैसों की जरूरत पड़ती है। उमाशंकर तिवारी ने बताया कि जब केंद्र के समान ही यूपी सरकार अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 50 फीसदी कर सकती है तो मध्यप्रदेश की मोहन सरकार क्यों नहीं कर सकती?