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छिंदवाड़ा

Farmer: खेतों में तबाही का मंजर देखकर डबडबाई आंखें

मौसम की मार से खेतों में तबाही का मंजर है।

छिंदवाड़ाMar 21, 2024 / 01:35 pm

ashish mishra

Farmer: खेतों में तबाही का मंजर देखकर डबडबाई आंखें

Farmer: खेतों में तबाही का मंजर देखकर डबडबाई आंखें

छिंदवाड़ा. जिले के कई गांवों में इस समय सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा लग रहा है मानो मातम छाया हो। मौसम की मार ने किसानों की कमर तोडकऱ रख दी है। जिस मेहनत से किसानों ने गेहूं सहित अन्य फसल बोई थी, उस मेहनत को तेज हवाओं के झोके बहा ले गए हैं। ओलावृष्टि और बारिश से सब कुछ बर्बाद हो गया है। खेतों में गेहूं, सब्जी सहित अन्य फसल तबाह हो गई है। मौसम की मार से खेतों में तबाही का मंजर है। सोई हुई फसल देकखर किसानों के आंसु रूक नहीं रहे हैं। किसानों का कहना है कि वर्षो बाद ऐसा देखने को मिल रहा है जब पूरी फसल खराब हो गई हो। अब फसलों के बचने की कोई उम्मीद नहीं है। जिले में कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने लाखों रुपए बैंक से कर्ज लेकर खेती की थी। वहीं कई किसानों ने बीज की दुकानों में उधारी कर रखी है। कई किसानों ने इस बार अच्छी फसल होने पर बेटी की शादी, बच्चों के लिए बड़ा काम करने की सोची थी, लेकिन मौसम ने सारे सपने तोड़ दिए। किसानों के लिए अब परिवार चलाना भी मुश्किल होगा। किसानों का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द सर्वे करके मुआवजा दिलवाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि रविवार एवं सोमवार को तेज हवाओं के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि हुई थी। जिससे फसलों का काफी नुकसान हुआ है। प्रशासनिक अमला जगह-जगह पहुंचकर नुकसान का आकलन करने में जुटा हुआ है।
इनका कहना है…
चार लाख रुपए उधार लेकर ढाई एकड़ खेत में गेहूं और दो एकड़ में टमाटर की खेती की थी। गेहूं की फसल पक गई थी। एक माह में टमाटर का उत्पादन भी अच्छा होता, लेकिन मौसम की मार ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। टमाटर भी अब किसी काम का नहीं है। समझ में नहीं आ रहा है कि उधारी कैसे दूंगा। घर का निर्माण कराने के लिए भी इस बार सोचा था। वह भी नहीं हो पाएगा। अब प्रशासन से मदद की आस है।
अरविंद यदुवंशी, किसान
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गेहूं, सब्जी की फसल बोई थी। छह एकड़ मेरी खेती थी और लगभग 12 एकड़ मैंने ठेका पर लिया था। सभी फसल चौपट हो गई है। बीज के दुकान, राशन की दुकान पर उधारी है। सोचा था फसल अच्छी होगी तो बच्चों के लिए कुछ बड़ा काम करूंगा। अब तो परिवार चलाना भी मुश्किल होगा। उधारी कैसे देंगे। फसलें पूरी चौपट हो गई है। मौसम की मार से कुछ नहीं बचा। तेज हवा की वजह से मेरे घर की दीवार भी गिर गई। छप्पर उड़ गया।
दुर्गा मालवी, किसान
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किसानी पर ही निर्भर हूं। परिवार का जीवन यापन इसी से चलता है। मैंने दस एकड़ में गेहूं की फसल बोई थी। बैंक से 80 हजार रुपए का कर्ज है। पूरी फसल सो गई है। इस बार अच्छी खेती होने पर बोर कराने का सोचा था। कई और काम थे जो करने थे, लेकिन अब परिवार का जीवन यापन भी करना मुश्किल होगा। फसल बीमा का सर्वे जल्द होना चाहिए।

नितिन राजपूत, किसान
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गेहूं एवं सब्जी की सफल की थी। लगभग 20 एकड़ में लाखों रुपए की लागत लगाई थी। बैंक से कर्जा भी है। सोचा था कि इस बार अच्छी खेती होगी तो घरवालों के लिए कुछ नया काम करेंगे, लेकिन अब तो घर चलाने के लिए कुछ और काम करना होगा। मौसम की मार की वजह से किसानी करना काफी कठिन होता जा रहा है।
दिलीप मालवी, किसान

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