चार लाख रुपए उधार लेकर ढाई एकड़ खेत में गेहूं और दो एकड़ में टमाटर की खेती की थी। गेहूं की फसल पक गई थी। एक माह में टमाटर का उत्पादन भी अच्छा होता, लेकिन मौसम की मार ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। टमाटर भी अब किसी काम का नहीं है। समझ में नहीं आ रहा है कि उधारी कैसे दूंगा। घर का निर्माण कराने के लिए भी इस बार सोचा था। वह भी नहीं हो पाएगा। अब प्रशासन से मदद की आस है।
अरविंद यदुवंशी, किसान
गेहूं, सब्जी की फसल बोई थी। छह एकड़ मेरी खेती थी और लगभग 12 एकड़ मैंने ठेका पर लिया था। सभी फसल चौपट हो गई है। बीज के दुकान, राशन की दुकान पर उधारी है। सोचा था फसल अच्छी होगी तो बच्चों के लिए कुछ बड़ा काम करूंगा। अब तो परिवार चलाना भी मुश्किल होगा। उधारी कैसे देंगे। फसलें पूरी चौपट हो गई है। मौसम की मार से कुछ नहीं बचा। तेज हवा की वजह से मेरे घर की दीवार भी गिर गई। छप्पर उड़ गया।
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किसानी पर ही निर्भर हूं। परिवार का जीवन यापन इसी से चलता है। मैंने दस एकड़ में गेहूं की फसल बोई थी। बैंक से 80 हजार रुपए का कर्ज है। पूरी फसल सो गई है। इस बार अच्छी खेती होने पर बोर कराने का सोचा था। कई और काम थे जो करने थे, लेकिन अब परिवार का जीवन यापन भी करना मुश्किल होगा। फसल बीमा का सर्वे जल्द होना चाहिए।
नितिन राजपूत, किसान
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दिलीप मालवी, किसान