यह था मामला
पारसोली कस्बे में 18 मार्च को स्कूल जा रहे 6 साल के बच्चे आवारा श्वानों ने हमला कर दिया था। सुबह करीब 7 बजे 6 वर्षीय आयुष पुत्र भैरूलाल खटीक घर से स्कूल जा रहा था। श्वानों ने मासूम को 20 जगह से काटा। इस दौरान वहां से गुजर रही महिला ने उसे श्वानों से बचाया व अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने मासूम को मृत घोषित कर दिया।
हाइकोर्ट ने कहा- दया और सम्मान का अधिकार
आवारा कुत्तों के मामले में 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक फैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि जानवरों को कानूनन दया और सम्मान के तहत व्यवहार का अधिकार है। इस दौरान कुत्तों को भोजन के अधिकार की बात भी कही गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए आसपास के लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
है दंडनीय अपराध
आईपीसी की धारा 428, 429 और पीसीए एक्ट की धारा 11 के तहत गली के आवारा कुत्तों को मारना दंडनीय अपराध है। ज्यादा से ज्यादा इनकी रोकथाम के लिए नसबंदी की जा सकती है। सरकार की नीति और एनिमल बर्थ कंट्रोल 2011 के तहत जिस क्षेत्र में इन आवारा कुत्तों का आतंक है, वहां इनकी नसबंदी के बाद उसे वापस भेजा जाएगा और इन्हें मारा नहीं जा सकता। हाईकोर्ट ने भी इसके संबंध में निर्देश जारी किया है। अगर कोई इन आवारा कुत्तों या मवेशियों को परेशान करेगा या मारने की कोशिश करेगा तो इसकी शिकायत पुलिस थाने में भी की जा सकेगी।
किस धारा के तहत कितनी सजा
धारा 428: पशुओं को मारना और जहर देना या उसे अपाहिज करने पर दो साल की कैद या दंड तथा दोनों दिया जा सकता है।
धारा 429: पशुओं को मार डालने, जहर देना या अपाहिज कर देने पर पांच साल की सजा या दंड या फिर दोनों दिया जा सकता है।
पीसीए एक्ट 1960: इस एक्ट के तहत पशुओं के साथ क्रूरता किए जाने पर तीन माह की सजा का प्रावधान है।
इनका कहना है
श्वानों को मारने को लेकर कोई सूचना नहीं है। 18 मार्च की घटना के बाद पिंजरे रखवा कर श्वानों को बाहर छुड़वाया गया था।
मनस्वी नरेश, एसडीएम, बेगूं