scriptऐसी ठगी नहीं सुनी होगी, चंद दिनों में मरने वालों का कराते थे बीमा, मौत के बाद हड़प जाते क्लेम की रकम | Used to get insurance for those who died within few days would grab claim amount after death | Patrika News
ग्वालियर

ऐसी ठगी नहीं सुनी होगी, चंद दिनों में मरने वालों का कराते थे बीमा, मौत के बाद हड़प जाते क्लेम की रकम

मरणासन्न व्यक्तियों का बीमा कराकर उनकी मौत पर क्लेम राशि हड़पने वाले गिरोह की तलाश में जुटी पुलिस। उपभोक्ता फोरम ने दिए जांच के आदेश। मजदूर के नाम परथी 20.16 लाख की पॉलिसी, 50 दिन में हो गई मौत।

ग्वालियरMar 24, 2024 / 02:41 pm

Faiz

fraud case in gwalior

ऐसी ठगी नहीं सुनी होगी, चंद दिनों में मरने वालों का कराते थे बीमा, मौत के बाद हड़प जाते क्लेम की रकम

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में बीमा क्लेम से चौकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। बीमा क्लेम की राशि ऐंठने के लिए शाति ठग ऐसे ग्रामीणों और मजदूरों को तलाशते जो सिर्फ किसी बीमारी से ग्रस्त होते, बल्कि बीमा पॉलिसी लेने के इच्छुक भी होते। पॉलिसी लेने के बाद जबतक पॉलिसी धारक जिंदा रहता, ये उसकी बीमा रकम निर्धारित समय पर अपनी जेब से भर देते। लेकिन जैसे ही पॉलिसी धारक की मौत होती, ये शातिर ठग तय मापदंड के अनुसार बीमा की क्लेम राशि निकाल लेते थे।


ये चौंकाने वाला मामला उस समय सामने आया, जब एक रफीक नामक शख्स की मृत्यु के बाद उसका क्लेम कंपनी में पहुंचा। संदेह होने पर बीमा कंपनी ने 20.16 लाख रुपए का क्लेम खारिज कर दिया तो फोरम में परिवाद दायर किया। फोरम ने बीमा एजेंट और सक्रिय गिरोह के शामिल होने का अंदेशा जताया। इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए, जिसके चलते फोरम ने क्लेम खारिज कर दिये हैं।


दरअसल मुमताज के पति रफीक ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से 20.16 लाख रुपए की कवर पॉलिसी ली थी। नॉमिनी के स्थान पर मुमताज का नाम दर्ज था। 19 जनवरी 2020 को रफीक की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद मुमताज ने बीमा क्लेम के लिए कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन किया। टोल फ्री नंबर जवाब मिला कि नजदीकी ऑफिस पहुंचकर दावा पेश करें। बीमा कंपनी ने दावा खारिज कर दिया। इसको लेकर मुमताज ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। क्लेम देने का की मांग की। 2019 से ये परिवाद फोरम में लंबित था। फोरम में चौकाने वाले तथ्य सामने आए।

 

यह भी पढ़ें- चिंता का विषय : यहां 142 पोलिंग बूथ ऐसे जहां पुरुष वोटरों की तुलना में महिलाएं 40% कम

 

– बीमा पॉलिसी लेने के 50 दिन के भीतर बीमा धारक की मृत्यु हो गई। अल्प अवधि के भीतर मौत हो गई।
– मृतक की उम्र महज 40 साल थी। वह मजदूरी का काम करता था। महीने में 8 से 10 हजार रुपए कमाता था। जबकि बीमा की मासिक किस्त 8400 रुपए थी।
– फोरम ने भिन्न-भिन्न पॉलिसी का अध्ययन किया। उन केसों में बीमा धारक कम अल्प अवधि में मौत हुई है।
– फोरम ने पाया कि गलत पॉलिसी लेने वाला गिरोह सक्रिय है, जो मजदूर व गांव के भोलेभाले लोगों को अपने जाल में फंसा रहा है। मरणासन्न स्थिति वालों के नाम पॉलिसी ले रहे हैं और क्लेम राशि ले रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें- आंखों को भारी नुकसान पहुंचा रहे होली के रंग, होली खेलने से पहले जान लें डॉक्टर की सलाह

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने बीमा पॉलिसी में फर्जीवाड़ा करने के मामले में पुलिस अधीक्षक को जांच के आदेश दिए हैं। फोरम ने परिवादी को बयान के लिए शासकीय खर्च पर बुलाया। उसके बाद पुलिस से जमानती वारंट भेजा, लेकिन वारंट बिना तामील के लौट आया। उस पर लिखा गया कि मोनू नाम का व्यक्ति मोहल्ले में नहीं रहता। इसलिए मामले की जांच कराना उचित समझा। पॉलिसी धारक 26 वर्ष का नवयुवक था और पॉलिसी लेने के 15 दिन के भीतर उसकी मौत हो गई। इसलिए पॉलिसी संदेहास्पद है।

काना वाली गली मुरैना निवासी मोनू के भाई लाल सिंह ने एचडीएफसी बैंक से बीमा पॉलिसी दी थी। इस पॉलिसी में 6 लाख का बीमा कवर किया गया था। लाल सिंह की मृत्यु 11 नवंबर 2016 को हो गई। लाल सिंह की मौत के बाद भाई मोनू ने क्लेम के लिए परिवाद दायर किया। उसकी ओर से तर्क दिया गया कि बीमा कंपनी ने उसके क्लेम को खारिज कर दिया। उसका कहना था कि एजेंट के माध्यम से बीमा पॉलिसी ली। पॉलिसी का फॉर्म अंग्रेजी में था। पहले से भी एक पॉलिसी थी। बीमा कंपनी ने गलत तरीके से क्लेम खारिज किया है। इसलिए क्षतिपूर्ति के साथ राशि दिलाई जाए। बीमा कंपनी का जवाब आने के बाद परिवादी को गवाही के लिए बुलाया गया, लेकिन परिवादी मोनू उपस्थित नहीं हुए। इस कारण फोरम को संदेह हुआ। इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

Home / Gwalior / ऐसी ठगी नहीं सुनी होगी, चंद दिनों में मरने वालों का कराते थे बीमा, मौत के बाद हड़प जाते क्लेम की रकम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो