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स्वास्थ्य

ये हैं आम परेशानियां जिन पर हर महिला को ध्यान देना चाहिए

International day of action for women’s health : आजकल की व्यस्त जिंदगी में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं।

नई दिल्लीMay 28, 2024 / 06:07 pm

Manoj Kumar

women common health issues

women common health issues

International day of action for women’s health : आजकल की व्यस्त जिंदगी में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। कई बार तो ये दूसरों का ध्यान रखने में खुद की सेहत को भूल जाती हैं। इसके अलावा, कई बार जानकारी की कमी, शर्म या सामाजिक मान्यताओं के कारण भी महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी परेशानियों को दरकिनार कर देती हैं.
लेकिन, ये नजरअंदाज करना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए महिलाओं के लिए नियमित रूप से डॉक्टर की जांच कराना बहुत जरूरी है. इसमें डॉक्टर न सिर्फ शारीरिक जांच करते हैं बल्कि पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं, प्रेग्नेंसी की तैयारी, गर्भनिरोध के तरीकों के बारे में भी पूछते हैं. साथ ही अवसाद, नशाखोरी और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर भी बातचीत करते हैं.
आइये जानें उन आम परेशानियों के बारे में जिन पर हर महिला को ध्यान देना चाहिए:

माहवारी (Menstrual health):

कई बार कम उम्र की लड़कियां पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतों को नजरअंदाज कर देती हैं, जैसे कि ज्यादा या बहुत कम दिनों का पीरियड होना, बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना या फिर बहुत दर्द होना। अगर आपका पीरियड 20 दिन से कम या 40 दिन से ज्यादा समय में आता है, बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है जिससे खून की कमी हो जाती है या फिर इतना दर्द होता है कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.

प्रजनन और यौन स्वास्थ्य (Reproductive and sexual health):

अपने प्रजनन और यौन स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए नियमित रूप से जांच कराना, साल में एक बार एसटी़डी टेस्ट कराना और सुरक्षित सेक्स जरूरी है। 25 साल की उम्र के बाद हर 3-5 साल में पैप स्मीयर टेस्ट और एचपी़वी टेस्ट कराना जरूरी है। इससे सर्वाइकल कैंसर और दूसरी प्रजनन संबंधी बीमारियों का पता चल सकता है। प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले या फिर गर्भनिरोध के तरीकों के बारे में डॉक्टर से सलाह लें. अगर आप मां बनने का फैसला बाद में करना चाहती हैं तो अंडे या भ्रूण को फ्रीज कराने के बारे में भी डॉक्टर से बात करें.

टीकाकरण (Vaccinations):

रुबेला का टीका: प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले हर लड़की को ये टीका लगवाना चाहिए। टीका लगवाने के एक महीने बाद ही प्रेग्नेंनसी प्लान करें.

एचपी़वी का टीका: ये टीका सर्वाइकल कैंसर और मस्सों से बचाता है। 11-15 साल की लड़कियों को ये टीका लगवाना चाहिए। अगर आप इस उम्र में टीका नहीं लगवा पाई हैं तो बाद में भी लगवाया जा सकता है।
टीडीएपी का टीका: ये टीका गर्भवती महिलाओं को उनके प्रेग्नेंसी के तीसरे तिमाही में लगाया जाता है। इससे मां और बच्चे दोनों को टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी से बचाया जा सकता है।

इन्फ्लूएंजा का टीका: हर साल फ्लू का टीका लगवाना फायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं को ये टीका प्रेग्नेंसी के पहले तिमाही के बाद लगवाना चाहिए।

4. स्तन का स्वास्थ्य (Breast health)

20 साल की उम्र के बाद हर 3 से 6 महीने में पीरियड्स खत्म होने के बाद खुद अपने स्तन और बगल की जांच करनी सीखें और नियमित रूप से जांच करें. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि 40 साल की उम्र के बाद हर 1 से 3 साल में मैमोग्राम करवाना जरूरी होता है। जांच करवाने की अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपको स्तन कैंसर का कितना खतरा है.

रजोनिवृत्ति का स्वास्थ्य (Menopausal health)

महिलाओं में आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के बीच मासिक धर्म अनियमित हो जाता है और फिर धीरे-धीरे बंद हो जाता है जिसे रजोनिवृत्ति (menopause) कहते हैं। अगर आपको ज्यादा या बहुत कम अंतराल पर पीरियड्स आ रहे हैं, गर्मी लगना (hot flashes), मूड स्विंग्स, योनि में सूखापन या कोई और परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें.

हृदय का स्वास्थ्य (Heart health)

दिल की बीमारी महिलाओं में मौत का एक मुख्य कारण है। इसलिए नियमित जांच करवाना, स्वस्थ आहार लेना, व्यायाम करना और ब्लड प्रेशर, शुगर, धूम्रपान, शराब, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल जैसी चीजों को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। इन सबके साथ नियमित ब्लड टेस्ट के अलावा TMT और इकोकार्डियोग्राफी जांच करवा कर हृदय स्वास्थ्य का आंकलन करवाना भी जरूरी होता है।

हड्डियों का स्वास्थ्य (Bone health)

हड्डियों का कमजोर होना (Osteoporosis) खासकर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ज्यादा आम होता है। 65 साल की उम्र के बाद नियमित हड्डी घनत्व जांच (bone density test) करवाना और कैल्शियम युक्त आहार लेना हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। रजोनिवृत्ति के बाद नियमित रूप से कैल्शियम और विटामिन डी की गोलियां लेना भी जरूरी होता है।

मानसिक स्वास्थ्य (Mental health)

सामाजिक, जैविक और सांस्कृतिक कारणों से महिलाओं में चिंता और अवसाद की समस्या ज्यादा होती है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। जरूरत पड़ने पर सहायता और समर्थन लें, किसी डॉक्टर से अपने लक्षणों के बारे में बात करें और नियमित जांच के साथ मानसिक स्वास्थ्य की जांच को भी शामिल करें। ये मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।

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