उपचुनाव जीतकर कांग्रेस में उत्साह
करणपुर विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव हुआ था। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर की विधानसभा चुनाव 2023 में नामांकन दाखिल करने के बाद मौत हो गई। इस कारण इस सीट पर चुनाव स्थगित करना पड़ा। यहां पर पांच जनवरी 2024 को उपचुनाव हुए। इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार बन गई। यहां पर कांग्रेस ने गुरमीत सिंह कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह कुन्नर को मैदान में उतारा था, तो भाजपा ने सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को टिकट दिया। भाजपा ने यह उपचुनाव जीतने के लिए टीटी को चुनाव परिणाम से पहले ही मंत्री बना दिया, लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी पर ही विश्वास जताया। ऐसे में राज्य में भाजपा सरकार होते हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत से इस क्षेत्र में पार्टी में अति उत्साह बना हुआ हैं।
यहां 10 बार कांग्रेस तो पांच बार जीती भाजपा
यहां पहला आम चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था। इसमें पन्नालाल बारूपाल जीते। ये लगातार पांच बार तक सांसद रहे। इस सीट से अब तक दस बार कांग्रेस जीत हासिल कर चुकी है, वहीं भाजपा ने यह सीट पांच बार जीती और पांचों बार निहालचंद ने ही कमल खिलाया। इसके अलावा एक बार जनता पार्टी और एक बार जनता दल ने विजयी हासिल की है।
कांग्रेस प्रत्याशी इंदौरा को विरासत में राजनीति
कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप इंदौरा ने पूर्व सांसद रहे शंकर पन्नू और भरतराम मेघवाल को पछाड़ते हुए टिकट हासिल किया है। ये दोनों भी टिकट की दौड़ में थे। कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप इंदौरा वर्तमान में जिला प्रमुख हैं। इनके पिता हीरालाल इंदौरा राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कुलदीप इंदौरा ने वर्ष 2008 और वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए। ये वर्ष 2022 में जिला प्रमुख बने हैं। इस सीट पर कांग्रेस और माकपा से गठबंधन की चर्चा थी, लेकिन सीकर में गठबंधन होने से यहां पर कांग्रेस ने टिकट घोषित कर दिया। कुलदीप इंदौरा कांग्रेस संगठन से भी जुड़े हैं। ये वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव पद पर हैं। यह इंदौरा का पहला लोकसभा चुनाव है। इसके अलावा कुलदीप इंदौरा के पिता पूर्व मंत्री हीरालाल इंदौरा भी वर्ष 1989 में कांग्रेस के टिकट से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। इन्हें जनता दल के बेगाराम ने हराया था।
निहालंचद ने सात चुुनाव लड़े, पांच जीते
वर्तमान सांसद निहालचंद ने यहां से कुल सात चुनाव लड़े हैं। इनमें से इन्होंने पांच चुनाव जीते और दो चुनाव में हार का स्वाद चखा था। ये वर्ष 1996 से ही लगतार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। भाजपा ने भी अब तक केवल निहालचंद पर ही विश्वास जताया है। सातों बार टिकट निहालचंद को दिया गया है। ये सबसे पहले वर्ष 1996, 1999, 2004, 2014 और 2019 का चुनाव जीते हैं, वहीं वर्ष 1998 और 2009 का चुनाव हार गए थे।
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विधानसभा क्षेत्र—- विधायक—- पार्टी
सादुलपुर—- गुरवीर सिंह बराड़—- बीजेपी
गंगानगर—- जयदीप बिहानी—- बीजेपी
करणपुर—- रुपिंदर सिंह कुन्नर—- कांग्रेस
सूरतगढ़—- डूंगरराम गेदर—- कांग्रेस
रायसिंहनगर—- सोहन लाल नायक—- कांग्रेस
संागरिया—- अभिमन्यु पूनिया—- कांग्रेस
हनुमानगढ़—- गणेश राज बंसल—- निर्दलीय
पीलीबंगा—- विनोद कुमार—- कांग्रेस
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संसद के सदस्य
वर्ष—- सदस्य—- दल
1952—- पन्नालाल बारूपाल—- कांग्रेस
1957—- पन्नालाल बारूपाल—- कांग्रेस
1962—- पन्नालाल बारूपाल—- कांग्रेस
1967—- पन्नालाल बारूपाल—- कांग्रेस
1971—- पन्नालाल बारूपाल—- कांग्रेस
1977—- बेगा राम चौहान—- जनता पार्टी
1980—- बीरबल राम—- कांग्रेस (आई)
1984—- बीरबल राम—- कांग्रेस
1989—- बेगा राम चौहान—- जनता दल
1991—- बीरबल राम—- कांग्रेस
1996—- निहालचंद मेघवाल—- भाजपा
1998—- शंकर पन्नू—- कांग्रेस
1999—- निहालचंद मेघवाल—- भाजपा
2004—- निहालचंद मेघवाल—- भाजपा
2009—- भरत राम मेघवाल—- कांग्रेस
2014—- निहालचंद मेघवाल—- भाजपा
2019—- निहालचंद मेघवाल—- भाजपा
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पिछले चुनावों का परिणाम
वर्ष-2019
दल—- उम्मीदवार—- वोट—- प्रतिशत
भाजपा—- निहालचंद मेघवाल—- 897,177—- 61.80
कांग्रेस—- भरत राम मेघवाल—- 4,90,199—- 33.77
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वर्ष-2014
भाजपा—- निहालचंद मेघवाल—- 6,58,130—- 52.37
कांग्रेस—- भंवरलाल मेघवाल—- 3,66,389—- 29.15
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वर्ष-2009
कांग्रेस—- भरत राम मेघवाल—- 4,76,554—- 52.39
भाजपा—- निहालचंद मेघवाल—- 3,35,886—- 36.93
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वर्ष-2004
भाजपा—- निहालचंद मेघवाल—- 3,31,475—- 45.85
कांग्रेस—- भरत राम मेघवाल—- 3,24,082—- 44.83
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