प्राथमिक शाल एवं माध्यमिक शाल के लिए दो स्कूल भवन का निर्मण हुआ है। जिसमें प्राथमिक शाल की स्वीकृत 2004 में हुई कई सालों तक अधूरा पडता रहा। जिसका निर्माण 2011 में पूर्ण हुआ। माध्यमिक शाला की स्वीकृति 2008 में हुई लेकिन ये भावन भी तीन से चार साल बनने में लग गये।
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लेकिन दो भवन महज 8 से 10 साल में जर्जर हो गये कि अब इस भवन में स्कूल संचालन करन खतरे से से खाली नहीं था जिसके कारण शिक्षक ने स्कूल भवन स्कूल संचालन बंद कर अब आगन बाडी केन्द्र में स्कूल का संचालन किया जा रहा है।
जिला मुख्यालस से 13 किमी की ऐसी हालत
सुकमा जिला मुख्यालय से गुटटागुडा गांव महज 13 किमी की दूरी पर है। लेकिन प्रदेश के केबिनेट मंत्री कवासी लखमा गृह ग्राम पंचायत क्षेत्र में ही प्रशासनिक अधिकारी की अनदेखी के कारण बच्चों को स्कूल भवन भी नसीब नहीं हो रहा है। जर्जर आगनबाडी केन्द्रों में स्कूल के बच्चें भविष्य गढऩे के लिए मजबूर है।
निर्माण में बरती जाती है खामिया
जिले में हाल ही के कुछ वर्ष के अंदर बनने सभी स्कूल भवन की हाल जर्जर है। क्योंकि निर्माण के दौरान मनमानी ढंग से निर्माण किया जाता है। मौटी कमिशन के आगे गुणवत्ता को लेकर संबंधित विभागीय अधिकारी सारे नियम को दरकिनार कर गुणवत्ताहीन भवन का निर्माण कर देते है।
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स्कूल की भवन के बनने से पहले ही भवन से पानी का रिवास शुरू हो जाता हैं महज दो चार साल में स्कूल भवन जर्जर हो जाता है। ऐसी स्थिति बन जाती है कि स्कूल में बच्चों को बैठने के लायक नहीं है। इधर जर्जर स्कूल को शाल प्रबंधक समिति ने शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को कई बार पत्र लिखकर अवगत कराया जा चूका है।