नक्सलियों ने यहाँ मचाई थी ऐसी तबाही की तेरह साल लग गए उजड़े हुए शिक्षा के मंदिर को आबाद करने में
इस हादसे की जब पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि जिस बस से युवाओं की गाड़ी भिड़ी थी, उसमें हेड लाइट की जगह फॉग लैंप का उपयोग किया गया था। आमतौर पर फॉग लैंप का उपयोग विकल्प के तौर पर किया जाना है। यानी अगर सड़क पर कोहरे की स्थिति बने तभी इस लैंप का उपयोग किया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।अकेले सो रही नाबालिग लड़की के घर में घुस गया पडोसी, लोगों ने सुनी चीखने की आवाज और फिर…
वाहन चालक सड़क पर ज्यादा स्पष्ट रोशनी पाने के चक्कर में सामान्य मौसम में ही फॉग लाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं और अचानक हेडलाइट की जगह फॉग लाइट के संपर्क में आने से सामने से सामान्य लाइट के साथ आ रही गाड़ी अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो रही है।फॉग लैंप पर विभाग के पास गाइड लाइन नहीं
जानकार बताते हैं कि फॉग लैंप का हेड लाइट के रूप में उपयोग कर ही नहीं सकते। फिलहाल इसे लेकर आरटीओ की तरफ से कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी अलग-अलग जनहित याचिकाएं लगी हुई हैं। रायपुर से जगदलपुर की ओर चलने वाली ज्यादातर बसें वॉल्वो स्तर की हैं और इन महंगी बसों में ऑपरेटर नियमों का उल्लंघन करते हुए फॉग लैंप का उपयोग मुख्य हेड लाइट में कर रहे हैं, जिसके कारण हादसे (Highway Road Accident) हो रहे है। इसे लेकर आरटीओ भी कार्रवाई से इसलिए बच रहा, इसे लेकर कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं है।