scriptसुलतानपुर में नोटा ने गठबंधन प्रत्याशी का बिगाड़ा खेल, चुनाव हारते-हारते बचीं मेनका गांधी | 9770 voters used NOTA in Sultanpur Lok Sabha Elections 2019 | Patrika News
सुल्तानपुर

सुलतानपुर में नोटा ने गठबंधन प्रत्याशी का बिगाड़ा खेल, चुनाव हारते-हारते बचीं मेनका गांधी

– सुलतानपुर में नोटा ने बिगाड़ा सभी का खेल- लोकसभा चुनाव हारते-हारते बचीं मेनका गांधी – कांटे के संघर्ष में जीत से मरहूम हो गया गठबंधन प्रत्याशी- 9770 हजार लोगों ने दबाया नोटा का बटन

सुल्तानपुरMay 28, 2019 / 01:33 pm

Hariom Dwivedi

Maneka Gandhi

सुलतानपुर में नोटा ने कई प्रत्याशियों का बिगाड़ा खेल, चुनाव हारते-हारते बचीं मेनका गांधी

राम सुमिरन मिश्र

सुलतानपुर. लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी की आसान जीत को पार्टी के लोगों और नोटा ने संघर्ष तक पहुंचाया। नोटा ने कई उम्मीदवारों के खेल बिगाड़ दिये। कोई प्रत्याशी पसन्द नहीं आने पर यहां 9 हजार 770 लोगों ने नोटा के बटन को दबाया। चुनावी मैदान में जोर आजमाइश कर रहे कई प्रत्याशियों से ज्यादा नोटा को वोट मिले हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि नोटा ने अगर मेनका गांधी की जीत को संघर्ष में बदल दिया है तो गठबंधन प्रत्याशी को जीत से मरहूम कर दिया। यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि सुलतानपुर में कांटे की लड़ाई में मोदी के नाम पर ही मेनका गांधी की नैया पार लग सकी।
सुलतानपुर में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने गांधी-नेहरू परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी के नाम की जब घोषणा की तो सभी को उनकी जीत आसान लग रही थी। लेकिन जब 30 मार्च को केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने बतौर भाजपा प्रत्याशी जिले में कदम रखा तो प्रचार के बजाय पार्टी नेताओं में चेहरा दिखाने की होड़ लग गई। इस पर मेनका गांधी ने कई नेताओं को फटकार लगाई तो मठाधीश नेता किनारा करने लगे। मेनका के कड़े रुख से पार्टी के नामदार चेहरे साथ तो खड़े दिखाई दिये लेकिन, चुनाव प्रचार से कतराते रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव प्रचार के आखिरी चरण तक पहुंचते-पहुंचते आसान लग रही जीत कांटे की टक्कर में तब्दील हो गई।
बाहरी नेताओं ने दिया था समर्थन
पार्टी नेताओं के किनारा कसने के बाद बसपा सरकार में मंत्री रहे पूर्व मंत्री विनोद सिंह, पूर्व विधायक पवन पांडेय एवं जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि शिवकुमार सिंह मेनका गांधी की नुक्कड़ सभाओं से लेकर जनसम्पर्क करने के आयोजन का जिम्मा संभालने लगे। स्थानीय नेता भी अपना चेहरा दिखाने के लिए मौजूद रहते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि मेनका गांधी की आसान लगने वाली जीत कड़े संघर्ष में बदल गई और पार्टी नेताओं की फूट का फायदा गठबंधन प्रत्याशी को मिलने लगा। मेनका गांधी बमुश्किल साढ़े चौदह हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सकीं।

Home / Sultanpur / सुलतानपुर में नोटा ने गठबंधन प्रत्याशी का बिगाड़ा खेल, चुनाव हारते-हारते बचीं मेनका गांधी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो