इसके बाद बालक के परिजनों को खोजना
(Child Resque) एक चुनौती थी। इस कार्य हेतु जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा चाइल्ड लाइन व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बालक के माता-पिता की खोज करने हेतु निर्देशित किया गया।
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चाइल्ड लाइन द्वारा पतासाजी करने पर
सिलफिली के एक गांव से गोंड़ परिवार से 3 साल पूर्व एक ऐसे ही बालक के लापता होने की सूचना मिली। इस पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया, सरंक्षण अधिकारी प्रियंका सिंह व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ उस गांव में माता-पिता से मिलने गए।
उनके बातचीत से बच्चे का हुलिया मिलान हेतु वीडियो कॉल किया गया। इस पर परिजन ने उसे पहचान लिया। माता-पिता, भाई बहन सभी बच्चे को 3 साल बाद सकुशल देखकर अत्यंत भावुक हो गए। सांकेतिक भाषा द्वारा उसकी पुष्टि करने पर बच्चे का गृह सत्यापन रिपोर्ट डीसीपीओ मनोज जायसवाल द्वारा नई दिल्ली भेज दिया गया।
फिर जिला कार्यक्रम अधिकारी की मांग पर एसपी ने आईजी कार्यालय सरगुजा से अनुमति प्राप्त कर टीम दी गई। इधर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने नई दिल्ली (New Delhi) की बाल गृह अधिकारी व बाल कल्याण समिति के चेयरमैन से निन्तर सम्पर्क कर अपनी टीम को मार्गदर्शन प्रदान किया।
18 जून को टीम के सकुशल लौटने पर सभी सदस्यों का कोविड टेस्ट होने के बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति सूरजपुर को प्रस्तुत कर उसके माता-पिता को सुपुर्द किया गया।
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बालक को लाने ऐसे पूरी की गई प्रक्रियाबालक तीन वर्ष पहले कहीं चला गया था, जिसका आसपास परिजन द्वारा पता किया गया पर कुछ जानकारी नहीं मिल पाई थी। वर्तमान में दिल्ली से प्राप्त सूचना के आधार पर तत्काल जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा बालक का गृह सत्यापन मनोज जायसवाल जिला
बाल संरक्षण अधिकारी को करने हेतु निर्देशित किया गया।
बालक का तत्काल गृह सत्यापन रिपोर्ट तैयार कर नई दिल्ली प्रेषित किया गया। पुलिस अधीक्षक से समन्वय कर दल गठित कर संयुक्त टीम
जिला बाल संरक्षण इकाई से परामर्शदाता जैनेन्द्र दुबे,
चाइल्ड लाइन से केंद्र समन्वयक कार्तिक मजूमदार, पुलिस स्टाफ थाना जयनगर से सिदार को रवाना किया गया। संयुक्त दल द्वारा नई दिल्ली जाकर बालक को 18 जून को वापस सूरजपुर लाया गया।