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छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के रहने वाले व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया किसी वरदान से कम नहीं है। सोशल मीडिया की वजह से उसके 14 साल के संघर्ष का सुखान्त हो गया। दरअसल डुमरिया गांव के रहने वाले भुवनेश्वर यादव की पत्नी प्रमिला की 2006 में मानसिक स्थिति खराब हो गयी थी और अचानक एक दिन वह अपने घर से लापता हो गयी।
पति ने उसे ढूंढने की काफी प्रयास किया लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका। उसने इसकी शिकायत भटगांव थाने में भी की लेकिन पुलिस के साथ भी कुछ नहीं लगा लेकिन इसके बाद भी भुवनेश्वर ने हार नहीं मानी और अपनी पत्नी को साइकिल से ढूंढने उत्तर प्रदेश तक गया लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। उसके परिजन पत्नी के अंतिम संस्कार का दबाव तक बनाने लगे लेकिन उसे यक़ीन था की उसकी पत्नी जिन्दा है और वह उसे एक दिन जरूर ढूंढ निकालेगा।
इधर प्रमिला भटक कर पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में पहुंच गयी थी और वहीं एक आश्रम में रहने लगी। धीरे धीरे उसकी मानसिक स्थिति में सुधार भी होने लगा और वह पूरी तरह से ठीक हो गयी। उसने आश्रम के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
हालाँकि मानसिक स्थिति ठीक होने के बाद भी उसके अपने घर का पता याद नहीं था लेकिन इस बीच वह अपने पति को खत लिखती रही लेकिन उन्हें कभी पोस्ट नहीं कर पायी। उसे बस अपने गांव का नाम याद था लेकिन वह किस जिले या राज्य में हैं ये उसे नहीं याद था।
गुजरते वक़्त के साथ वह वहीँ की होकर रह गयी। यहीं नहीं उसने छत्तीसगढ़ी की बजाय बंगाली बोलना शुरू कर दिया। आश्रम की संचालिका भी प्रमिला के घर को ढूंढने का प्रयास कर रही थी। इसीदौरान उन्होंने इंटरनेट के जरिये प्रमिला के डुमरिया गांव को ढूंढ निकाला।
इसके बाद उसे भटगांव के थाना प्रभारी किशोर केंवट से संपर्क किया, जिसके बाद पुलिस की टीम पूरी जांच पड़ताल के बाद पति को लेकर कलकत्ता रवाना हो गई और प्रमिला को लेकर वापस आ गई. दोनों पति-पत्नी के मिलने को लेकर पूरे गांव में ही खुशी का माहौल है।