गौरतलब है कि सूरजपुर जिला सहित यहां के सभी विकासखंडों और पंचायतों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत फर्जी तरीके से ओडीएफ घोषित कर पुरस्कृत कर दिया गया है जबकि प्रतापपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में बने शौचालयों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। शौचालय निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है और स्थिति यह है कि घटिया निर्माण के भेंट चढ़ चुके अधिकांश शौचालय किसी काम के नहीं हैं।
ये अधूरे पड़े हैं और कई शौचालय का तो आज तक निर्माण भी चालू नही हुआ है। फर्जी ओडीएफ को सही बताने जहां प्रशासन ने पहले कई हथकंडे अपनाए हैं वहीं उनका एक और नया कारनामा सामने आ रहा है। इसमें अधिकारियों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत फर्जी तरीके से वोटिंग करा दी जा रही है।
दरअसल संचार क्रांति योजना के तहत पंचायतों में ग्रामीणों को नि:शुल्क एंड्रॉयड मोबाइल का वितरण किया जा रहा है और फर्जी वोटिंग का खेल उन्हीं मोबाइल के सहारे किया जा रहा है। पंचायत भवनों में शिविर लगा मोबाइल बांटे जा रहे हैं, बांटने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों, सचिव के साथ अधिकारी और ऑपरेटर वहां मौजूद रहते हैं।
ऐप डाउनलोड कर की जा रही वोटिंग
बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को जो मोबाइल दिए जा रहे हैं, उनमें ऑपरेटर द्वारा ग्रामीणों को देने से पहले ही स्वच्छता एप डाउनलोड कर दिया जा रहा है और फिर उससे स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत वोटिंग कर दी जा रही है ।
कमाल की बात है कि ग्रामीणों को इसका पता ही नहीं है कि उनके मोबाइल से फर्जी तरीके से वोटिंग कर दी गई है। जिन ग्रामीणों के मोबाइल से वोटिंग हो रही है, उनमें से अधिकांश के शौचालय घटिया निर्माण के कारण बदतर स्थिति में हैं।