scriptबड़ा सवाल, कब मिलेगा कच्चे घरों से छुटकारा | Big question, when will get rid of raw houses | Patrika News
सूरत

बड़ा सवाल, कब मिलेगा कच्चे घरों से छुटकारा

दानह में प्रधानमंत्री आवास योजना की कछुआ चाल 2021 तक मिलना है सबको घर

सूरतApr 28, 2019 / 06:28 pm

Sunil Mishra

patrika

बड़ा सवाल, कब मिलेगा कच्चे घरों से छुटकारा


सिलवासा. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर परिषद व जिला पंचायत क्षेत्र में 2021 तक सभी बेघर लोगों को पक्के घर देने का लक्ष्य है। शहर में 803 तथा गांवों में 6 हजार से अधिक घर बन रहे है। नगर परिषद को लक्ष्य तक पहुंचने में काफी हद तक कामयाबी मिली है, ग्रामीण क्षेत्र मांदोनी, आबोली, खानवेल, सिंदोनी, कौंचा, दपाड़ा, किलवणी में योजना कछुआ चाल से चल रही है।
सर्वे के अनुसार गांवों में करीब 25 हजार परिवार घरविहीन है, जिनके पास पक्के मकान नहीं है। इनमें 70 प्रतिशत परिवार स्वयं का घर नहीं बनवा सकते। ऐसे लोगों को घर बनाने के लिए 1.29 लाख स्थानीय निकाय तथा 1.50 लाख केन्द्र सरकार योजना के तहत देती है। वर्ष 2015 तक जिला पंचायत सर्वोदय योजना के अंतर्गत 2500 परिवारों के घर बनवा चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना में मांदोनी, सिंदोनी, दूधनी, कौंचा, आंबोली, खेरड़ी, दपाड़ा, सुरंगी, रखोली, सायली, रांधा और किलवणी के चयनित लोगों की संख्या अधिक है, जो घर का सपना संजो रखे हैं। जिला पंचायत प्रमुख रमण काकवा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 2021 तक सभी गरीब परिवारों को पक्केघर देने की योजना है। दादरा नगर हवेली में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी करीब 25 हजार परिवार हो गए है। पहले यह संख्या 16 हजार थी। इससे पहले सुर्योदय योजना में 4091 परिवार चयनित हुए थे। उनमें 3906 लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला है।

साढ़े 6 हजार परिवार कच्चे घरों में
जिला पंचायत द्वारा दो वर्ष पहले किए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि मुक्ति के 67 वर्ष बाद दादरा नगर हवेली में 6597 परिवार कच्चे व मिट्टी के घरों में रहते हैं। वर्ष 2011 की जनगणना में कच्चे घरों की संख्या 9777 थी। सर्वे के मुताबिक दानह की 20 ग्राम पंचायत के सभी गांवों को मिलाकर कुल 52,353 घर हैं, जिसमें मिट्टी एवं घास फूस की झोपडिय़ों में रहने वाले परिवारों की संख्या 6597 है। सबसे अधिक दादरा ग्राम पंचायत मे 4747 परिवार हैं, जहां कच्चे घरों की संख्या मात्र 31 है। मसाट ग्राम पंचायत में केवल दस परिवारों के पास पक्के घर नहीं हैं। सबसे अधिक 741 कच्चे घर रांधा ग्राम पंचायत में हैं। इसके बाद गलौंडा में 729, सुरंगी में 715, दपाड़ा में 592, किलवणी में 577, दुधनी में 548 परिवार कच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं।

मांदोनी, सिंदोनी ज्यादा पिछड़े
प्रदेश के मांदोनी व सिंदोनी ग्राम पंचायत सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्र में आते हैं। मांदोनी ग्राम सेवक राजू थोरात ने बताया कि चालू वर्ष में मांदोनी में 51 तथा सिंदोनी ग्राम पंचायत में 321 प्रधानमंत्री आवास के तहत घर निर्माण चल रहे हैं। मांदोनी में करीब 1700 तथा सिंदोनी में 2300 परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इन ग्राम पंचायतों के गांवों में 90 से 95 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जहां रोजगार के अवसर नहीं हैं। गांव के युवा प्रदेश के उद्योगों में नौकरी करके जीवनयापन करते हैं।
patrika
सहयोग मिलने पर बनाया घर
मांदोनी पटेलपाड़ा निवासी श्रावण भीमा मालकरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किस्त मिलने के बाद अपने खर्च सहयोग से पक्का घर बनाया है। इस घर पर करीब साढ़े तीन लाख का खर्च आया है, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक सिर्फ 90 हजार मिले है। अपने खर्च से निर्मित घर की गुणवत्ता अलग रहती है।

उपक्रम ने लिया गोद
मांदोनी उपसरपंच सावजी गरेल के अनुसार स्टर्लिंग कंपनी की ओर से कलसूनपाड़ा गांव गोद लिया गया है। इस गांव में 76 परिवारों को कंपनी की ओर से 80 बोरी सीमेंट, दो ट्रक रेती और 1600 ईटें दी गई हैं। कलसूनपाड़ा में कुल परिवारों की संख्या 90 है जिसमें कई परिवार पहले से अपने खर्च से पक्के घर बनाकर रहते हैं।

Home / Surat / बड़ा सवाल, कब मिलेगा कच्चे घरों से छुटकारा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो