साढ़े 6 हजार परिवार कच्चे घरों में
जिला पंचायत द्वारा दो वर्ष पहले किए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि मुक्ति के 67 वर्ष बाद दादरा नगर हवेली में 6597 परिवार कच्चे व मिट्टी के घरों में रहते हैं। वर्ष 2011 की जनगणना में कच्चे घरों की संख्या 9777 थी। सर्वे के मुताबिक दानह की 20 ग्राम पंचायत के सभी गांवों को मिलाकर कुल 52,353 घर हैं, जिसमें मिट्टी एवं घास फूस की झोपडिय़ों में रहने वाले परिवारों की संख्या 6597 है। सबसे अधिक दादरा ग्राम पंचायत मे 4747 परिवार हैं, जहां कच्चे घरों की संख्या मात्र 31 है। मसाट ग्राम पंचायत में केवल दस परिवारों के पास पक्के घर नहीं हैं। सबसे अधिक 741 कच्चे घर रांधा ग्राम पंचायत में हैं। इसके बाद गलौंडा में 729, सुरंगी में 715, दपाड़ा में 592, किलवणी में 577, दुधनी में 548 परिवार कच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं।
मांदोनी, सिंदोनी ज्यादा पिछड़े
प्रदेश के मांदोनी व सिंदोनी ग्राम पंचायत सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्र में आते हैं। मांदोनी ग्राम सेवक राजू थोरात ने बताया कि चालू वर्ष में मांदोनी में 51 तथा सिंदोनी ग्राम पंचायत में 321 प्रधानमंत्री आवास के तहत घर निर्माण चल रहे हैं। मांदोनी में करीब 1700 तथा सिंदोनी में 2300 परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इन ग्राम पंचायतों के गांवों में 90 से 95 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जहां रोजगार के अवसर नहीं हैं। गांव के युवा प्रदेश के उद्योगों में नौकरी करके जीवनयापन करते हैं।
मांदोनी पटेलपाड़ा निवासी श्रावण भीमा मालकरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किस्त मिलने के बाद अपने खर्च सहयोग से पक्का घर बनाया है। इस घर पर करीब साढ़े तीन लाख का खर्च आया है, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक सिर्फ 90 हजार मिले है। अपने खर्च से निर्मित घर की गुणवत्ता अलग रहती है।
उपक्रम ने लिया गोद
मांदोनी उपसरपंच सावजी गरेल के अनुसार स्टर्लिंग कंपनी की ओर से कलसूनपाड़ा गांव गोद लिया गया है। इस गांव में 76 परिवारों को कंपनी की ओर से 80 बोरी सीमेंट, दो ट्रक रेती और 1600 ईटें दी गई हैं। कलसूनपाड़ा में कुल परिवारों की संख्या 90 है जिसमें कई परिवार पहले से अपने खर्च से पक्के घर बनाकर रहते हैं।