BJP SURAT: पूर्णेश मोदी का फैसला अप्रत्याशित!
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से नहीं जम रहा था तालमेल, कभी जमती थी गहरी दोस्ती
GUJARAT BJP: गुजरात में वीआर वर्सेज सीआर खत्म!
सूरत. भाजपा की प्रयोगशाला गुजरात में पहले मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी के साधारण कार्यकर्ता भूपेंद्र पटेल का चयन और अब सूरत के पूर्णेश मोदी को मंत्रिमंडल में केबिनेट का फैसला सामान्य लोगों के लिए अप्रत्याशित है, लेकिन राजनीति के जानकार इसे भाजपा संगठन की कूटनीति के रूप में मानते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्द पार्टी मां समान है और इससे बड़ा कोई नहीं हो सकता…गुरुवार दोपहर गुजरात सरकार के नए मंत्रिमंडल गठन के साथ फिर से सार्थक साबित हो गए हैं।
गतवर्ष जुलाई में प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निकटस्थ व दक्षिण गुजरात के कद्दावर नेता सीआर पाटिल ने पार्टी संगठन व सरकार में परिवर्तनकारी नेतृत्व देने के मंसूबे बनाए और कई निर्णयों को अमलीजामा भी पहनाया। पाटिल के नेतृत्व में सरकार पर लगातार हावी होता जा रहा संगठन कईयों को नागवार लग रहा था और यहीं कारण था कि निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कई मौकों पर मीडिया से कहा कि सीआर थी पूछो…। सीआर पाटिल के नेतृत्व व नीति के प्रति सूरत महानगर में भी पार्टी के पुराने नेता, विधायक व अन्य कार्यकर्ताओं में मतभेद था और उन्हीं में लगातार दो टर्म सूरत महानगर इकाई के अध्यक्ष रह चुके सूरत पश्चिम सीट के विधायक पूर्णेश मोदी भी शामिल थे। गुरुवार को नवगठित गुजरात सरकार के मंत्रिमंडल में मोदी को केबिनेट का दर्जा मिलने से पार्टी कार्यकर्ता इसके कई तरह से मतलब निकाल रहे हैं। वहीं, राजनीति खासकर भाजपा की रणनीति के जानकार मानते हैं कि इस पार्टी की यहीं कला है कि यहां हर दिन एक जैसा नहीं रहता है। तभी तो 2010 में भाजपा सूरत महानगर इकाई अध्यक्ष की कमान पूर्णेश मोदी को सीआर पाटिल की लॉबिंग के बूते ही मिल पाई थी और दोनों के बीच गहरी अंडरस्टेंडिंग थी लेकिन, बाद में यह बिगड़ गई और जब पाटिल गतवर्ष प्रदेश अध्यक्ष बने तो इसमें और अधिक दरार पड़ती प्रतीत होती रही।
पाटिल नए मंत्रिमंडल में सूरत से अपने चहेते के रूप में युवा विधायक हर्ष संघवी को ही स्थान दिलवा पाए जबकि बुधवार तक संगीता पाटिल के नाम की भी चर्चा खूब थी। सीआर पाटिल जब से प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से नए मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री का दर्जा पाने वालेे हर्ष संघवी उनके साथ मजबूती से खड़े हैं भले ही फिर उन्हें अपनी इस नीति की वजह से निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की आंखों में ही चुभना पड़ा, हालांकि राजनीतिक के जानकार यह भी मानते हैं कि हर्ष संघवी ने कोरोना काल में जिस तरह से पीडि़तों के बीच सेवाभाव को अपनाया है, उससे संगठन में उनकी काफी ऊंची जगह पहले से ही तय हो गई थी। इनके अलावा नए मंत्रिमंडल में सूरत से जगह पाने वाले विधायक विनोद मोरडिय़ा व मुकेश पटेल जातिगत समीकरण साधने की दिशा में प्रयास मात्र है।