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EDUCATION DEPT : विद्यार्थी फिर प्रवासी शिक्षकों के भरोसे

विद्यालयों में प्रवासी शिक्षकों की सेवा अवधि मार्च-20 तक बढ़ाईखाली पद नहीं भरे गए, विद्यार्थी फिर प्रवासी शिक्षकों के भरोसे

सूरतJun 04, 2019 / 07:24 pm

Divyesh Kumar Sondarva

surat

EDUCATION DEPT : विद्यार्थी फिर प्रवासी शिक्षकों के भरोसे

सूरत.

नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थी फिर प्रवासी शिक्षकों के भरोसे रहेंगे। शिक्षा विभाग ने प्रवासी शिक्षकों की सेवा अवधि फिर बढ़ा दी है। इस बार अवधि मार्च 2020 तक बढ़ाई गई है। 10वीं और 12वीं के अनुदानित विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। दो साल से यह स्कूल प्रवासी शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। यह तीसरा साल होगा, जब विद्यार्थियों को प्रवासी शिक्षकों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
राज्य के सरकारी और अनुदानित स्कूलों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों के कारण शिक्षा पर असर पड़ रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण विद्यार्थी और विद्यालय प्रशासन परेशान हैं। गुजरात काउंसिल ऑफ सेकंडरी एज्युकेशन बोर्ड ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्रवासी शिक्षकों की योजना शुरू की थी। इसके तहत विद्यालयों में प्रवासी शिक्षक नियुक्त किए गए। प्रति कक्षा के अनुसार इन शिक्षकों को शिक्षा विभाग की ओर से वेतन देना का फैसला किया गया था। योजना दो साल के लिए लागू की गई थी। दो साल में भी रिक्त पदों को नहीं भरा गया, जिसके कारण विद्यालयों में तीसरे साल भी प्रवासी शिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी।
गुजरात बोर्ड ने 20 दिसम्बर, 2017 से इस योजना को बंद करने का आदेश जारी किया था। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश का पालन करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के बाद स्कूल प्रवासी शिक्षकों की सेवाएं लेता है तो उनके वेतन के लिए स्कूल प्रशासन के जिम्मेदार होने की बात कही गई थी। साथ ही 20 दिसम्बर, 2017 तक ली गई प्रवासी शिक्षकों की सेवा की रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया था। शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण प्रवासी शिक्षकों को हटाने से विद्यालयों में परेशानी शुरू हो गई। कम शिक्षकों के कारण अन्य शिक्षकों का भार बढ़ गया। विद्यार्थियों को भी दुविधा होने लगी। इसलिए गुजरात बोर्ड ने योजना की अवधि बढ़ा दी थी। 20 जवनरी, 2018 तक स्कूलों को प्रवासी शिक्षक सेवा योजना के अंतर्गत प्रवासी शिक्षकों की सेवा का लाभ लेने की छूट दी गई थी। इसके बाद इस योजना को बंद किया जाना था।
सरकारी और अनुदानित स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला भी किया गया था। पिछले शैक्षणिक सत्र से पहले सभी रिक्त स्थानों को भरना था, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई और नया सत्र शुरू हो गया। शुरुआत में ही शिक्षकों की कमी से परेशान विद्यालयों ने शिकायत करना शुरू कर दिया। इसलिए सरकार को पुन: प्रवासी शिक्षक योजना लागू करनी पड़ी। सभी विद्यालयों को प्रवासी शिक्षक नियुक्त करने की मंजूरी दे दी गई। मंजूर शिक्षकों की सूची भी जारी कर दी गई। इस योजना को मार्च 2019 तक बढ़ा दिया गया था। पूरे दो साल बीत गए, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई। इसलिए शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए भी विद्यालयों को प्रवासी शिक्षकों की सेवा लेने का निर्देश दिया गया है।
स्कूलों से मांगी रिपोर्ट
विद्यालयों को आदेश दिया गया है कि वह 6 जून तक नाम, पता, वर्गों की संख्या और विद्यार्थियों की संख्या के साथ विषयों के बारे में जानकारी दें, जिससे शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों के लिए प्रवासी शिक्षकों की मंजूरी दी जाए। इसके बाद प्रवासी शिक्षकों के बारे में किए गए आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
रखना होगा रिकॉर्ड
प्रवासी शिक्षकों की आवश्यकता क्यों है, विद्यालयों को इसका कारण देना होगा। प्रवासी शिक्षकों का सीसी फुटेज भी देना होगा और प्रवासी शिक्षकों का पूरा रिकॉर्ड रखकर जमा करवाना होगा। प्रवासी शिक्षकों की आवश्यकता कितने समय तक है, यह भी बताना पड़ेगा।

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