पैनल सदस्यों ने बताया कि एमएसएमई के नए प्रावधानों से किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें व्यापार हित को ध्यान में रखकर ही चीजों का समावेश किया गया है। पैनल सदस्यों ने पेमेंट संबंधी शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि यदि गुड्स के बिल पर कुछ भी नहीं लिखा हो तो 15 दिन में पेमेंट करना अनिवार्य होगा। यदि 45 दिन का उल्लेख है तो इस अवधि में पेमेंट करना जरूरी हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि 31 मार्च को जिस पेमेंट की देनदारी आती है, उसे 14 मई तक क्लियर करना अनिवार्य होगा। इसमें विफल होने पर बाकी की रकम को आयकर में जोड़कर उस पर टैक्स की लाइबिलिटी चुकानी होगी। सप्लायर से एमएसएमई में सर्टिफिकेट लेना बायर का काम है, वह अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता हैं।
केवाईसी सप्लायर और कस्टमर दोनों का लेना या देना एमएसएमई एक्ट में फायदेमंद होगा, यह जरूरी हो गया। पेमेंट संबंधी एक अन्य सवाल पर पैनल ने बताया कि पेमेंट की चेन को सुधारने के लिए बायर सप्लायर से लोन भी ले सकता हैं। इसके अलावा यदि रिसीव होने वाले गुड्स में समस्या आती है तो 15 दिन के अंदर डेबिट नोट रेज करें और जिस दिन सेटलमेंट होगा, उस दिन से ही बिल डेट माना जाएगा।
इसके अलावा एक अन्य सवाल के जवाब पर पैनल सदस्य ने कहा कि यदि कोई चेक दिया गया है और वो चेक 45 दिन के बाद में बैंक में भरा जाता है तो ऐसी स्थिति में ये जांच की जाएगी कि उस अवधि में बैंक में प्रयाप्त अमाउंट जमा था या नहीं।
मीटिंग का संचालन सचिन अग्रवाल ने किया वहीं सवाल-जवाबों के लिए 4 सीए के पैनल में सीए राजेश भाउवाला, सुधीर सुराणा, सुमित गर्ग, श्रेयांस शाह शामिल हुए। एसजीटीटीए के अध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि एमएसएमई के नए प्रावधानों से व्यापारी चिंतित हैं, इसे लेकर नवसारी के सांसद और भाजपा के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल को भी अवगत कराया गया है। मीटिंग में सूरत के कारोबारियों के अलावा देशावर की मंडियों के करीब 200 व्यापारी जुड़े।