कोर्ट ने भी लिया था संज्ञान :
फुटपाथ पर सोते श्रमिकों के हादसों का शिकार बनने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया था। कोर्ट ने सभी महानगरों में इन प्रवासी श्रमिकों के लिए रैन बसेरे (शेल्टर होम) बनाने का आदेश दिया था। उस दौरान सूरत महानगर पालिका ने भी शहर के इलाकों में 27 रैन बसेरे बनाए थे। जबकि एक लाख की आबादी पर एक रैन बसेरा बनाने का प्रावधान था।
1. रैन बसेरों के निर्माण में एनयुएलएम (नेशनल अर्बन लाइवली हुड मिशन) की गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया।
2. रैन बसेरों में श्रमिकों के लिए परिवार सहित रहने की व्यवस्था नहीं की गई।
3. अधिकतर रैन बसेरों का निर्माण सार्वजनिक शौचालयों पर किया गया, जो श्रमिकों के साथ भद्दा मजाक जैसा था।
4. बहुत छोटी जगह में दस-दस पुरुषों के कतार में बिस्तर वाले शेड तैयार किए गए थे, जो ठीक नहीं है।
5. रैन बसेरों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया, बिस्तर नहीं धुलतें, टूटे पलंग, पंखों की मरम्मत नही हुई।ं
शहर के चौकबाजार, गांधीबाग,, मजूरागेट, सबजेल, वराछा चौपाटी, बॉटनिकल गार्डन, परवत पाटिया, वरियाव, डिंडोली फाटक, उधना-मगदल्ला रोड़, भटार चौराहा, जलानी ब्रिज, वरियावी बाजार, मोटा वराछा रिवर व्यू, रामनगर, सहारा दरवाजा, रेलवे स्टेशन, दिल्ली गेट, लंबे हनुमान रोड, स्मीमेर हॉस्पिटल, वेसू केनाल रोड,
मौसम व हादसे ही नहीं, अपराध भी :
सड़क किनारे सोने वाले प्रवासी श्रमिक व भिक्षुक प्रशासन की संवेदनहीनता के चलते सर्दी, गर्मी, बरसात आदि मौसम की मार और हादसों का खतरा तो झेलते ही हैं, कई बार उन्हें अपराधियों से भी दो-चार होना पड़ता है। शहरों के विकास में मील के पत्थर इन श्रमिकों की लाचारी का अपराधी भी फायदा उठाते हंै।
शहर में हालत यह हैं कि फुटपाथ पर मनपा की बैंच समेत सुरक्षित जगहों पर सोने के लिए संघर्ष होता है। सामान्य मारपीट की घटनाओं के अलावा जानलेवा हमले भी हुए हैं।
– लंबे हनुमान रोड पर भी दिहाड़ी श्रमिक का अन्य श्रमिक के साथ बैंच पर सोने को लेकर विवाद हुआ में उस पर धारदार हथियारों से हमला किया था।