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सूरत

व्यापारियों ने कहा- राहत चाहिए, अफसर बोले- डाटा पेश करो

जीएसटी और ई-वे बिल से राहत की मांग कर रहे कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी अधिकारियों के दौरे पर उनसे व्यापार समाप्त होने की दुहाई देकर जीएसटी…

सूरतFeb 16, 2018 / 09:51 pm

मुकेश कुमार

Merchants said

Merchants said

सूरत।जीएसटी और ई-वे बिल से राहत की मांग कर रहे कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी अधिकारियों के दौरे पर उनसे व्यापार समाप्त होने की दुहाई देकर जीएसटी और ई-वे बिल से मुक्ति की गुहार लगाई। जीएसटी अधिकारियों ने कहा कि हम समस्या समझते हैं। कपड़ा बाजार में कितने छोटे व्यापारी हैं, इसका लिखित प्रमाण या डाटा दो, जिसे हम ऊपर तक पहुंचा सकें। इसके बिना राहत दे पाना मुश्किल होगा।


सूरत के व्यापारियों का एक समूह पिछले सप्ताह दिल्ली में रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अडिय़ा से मिला था और व्यापारियों की समस्याएं बताते हुए उन्हें सूरत आकर यहां के असंगठित कपड़ा व्यापार का अध्ययन करने का आग्रह किया था। अडिय़ा ने सूरत के जीएसटी कमिश्नर को कपड़ा उद्योग के बारे में रिपोर्ट बनाने को कहा था।

इस सिलसिले में जीएसटी एडिश्नल कमिश्नर प्रशांत कडूसकर और डिप्टी कमिश्नर सचिन सिंह ने बुधवार को कपड़ा बाजार का दौरा किया। कपड़ा उद्यमी उन्हें विस्तृत जानकारी देने के लिए सबसे पहले ंिलंबायत ले गए, जहां महिलाओं ने साडिय़ों में स्टोन, लेसपट्टी आदि का काम कर बताया। इसके बाद वह अभिषेक मार्केट में व्यापारियों से मिले। व्यापारियों ने उन्हें बताया कि जबसे जीएसटी आया है, तबसे व्यापार अंतिम सांसें गिन रहा है। जीएसटी के बाद ई-वे बिल ने झटका दिया। बड़े व्यापारी तो ई-वे बिल के लिए मुनीम और अकाउंटेंट रख लेंगे, लेकिन जिनका व्यापार छोटा है, वह कैसे व्यवस्था करेंगे। ई-वे बिल के नियम के अनुसार जितनी बार जॉब वर्क कराना है, उतनी बार चालान बनाना पड़़ेगा। एक साड़ी सात-आठ बार प्रोसेस होती है, कितनी बार चालान बनाएं? ई-वे बिल में माल की कीमत बतानी होती है, लेकिन साड़ी तैयार होने से पहले इसकी कीमत बता पाना संभव नहीं है।

सूरत के बाजार में 90 प्रतिशत व्यापारी छोटे और मध्यम श्रेणी में आते हैं, जिन्हें कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं है। उनका सारा काम मुनीम और सीए करते हैं। ऐसे में उनसे जीएसटी और ई-वे बिल की अपेक्षा करना ज्यादती होगा। छोटे व्यापारियों को जीएसटी और ई-वे बिल से मुक्ति दी जाए।

यह जानकारी मांगी

व्यापारियों की समस्याएं सुनने के बाद जीएसटी अधिकारियों ने कहा कि वह व्यापारियों की समस्या को समझ रहे हैं, लेकिन सूरत के कपड़ा बाजार में कितने छोटे और मध्यम व्यापारी हैं, इसका डाटा चाहिए, ताकि यह जानकारी ऊपर दी जा सके। इसके बिना निर्णय कर पाना मुश्किल है। इसके अलावा अधिकारियों ने यह जानकारी भी मांगी कि साड़ी पर कितने स्तर तक जॉब वर्क होता है, सूरत में कितनी कम्पोजिट यूनिट हैं, कितनी लूम्स, प्रोसेसिंग और एम्ब्रॉयडरी यूनिट हैं। जीएसटी अधिकारियों ने इस दौरे की रिपोर्ट दो सप्ताह में रेवेन्यू सेक्रेटरी को भेजने का आश्वासन दिया।

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