ज्वैलरी कारीगरों की कमी से परेशान हैं छोटे और मध्यम ज्वैलर्स
बड़ी संख्या में कारीगर बड़ी कंपनियों में काम करने लगे
-सूरत में 550 ज्वैलरी वर्कशॉप थी, इनमें से कईं बंद होने के कगार पर
ज्वैलरी कारीगरों की कमी से परेशान हैं छोटे और मध्यम ज्वैलर्स
सूरत अमूमन बड़ी मछली छोटी मछलियों को खा जाती है, कुछ इसी तरह का माहौल ज्वैलरी व्यापार में भी चल रहा है। बड़े ज्वैलर्स की ओर से ज्यादा पगार और अन्य लाभ मिलने के कारण सोने की ज्वैलरी बनाने वाले कारीगर वहां चल गए। इस कारण छोटे और मध्यम ज्वैलर्स के लिए व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा है।
सूरत में लगभग 2000 छोटे, मध्यम और बड़े ज्वैलर्स हैं। इनमें से पांच से 10 प्रतिशत ज्वैलर ही खुद ज्वैलरी बनाकर बेचते हैं, अन्य ग्राहकों से ऑर्डर लेने के बाद जॉबवर्क पर ज्वैलरी बनवाते हैं। सूरत में इस तरह से जॉबवर्क पर काम करने वाले लगभग 500 ज्वैलरी वर्कशॉप यूनिट हैं। जो कि अंबाजी रोड, बालाजी रोड, महिधरपुरा में हैं। इनमें काम करने वाले ज्यादातर बंगाली हैं। एक समय में इन यूनिटों में कई सुनार काम करते थे, लेकिन समय बदलने के साथ अब यहां पर भी बदलाव आ रहा है। यहां काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी कंपनी के संचालकों ने ज्यादा वेतन और अन्य लाभ देने का ऑफर देकर बुला लिया। परिस्थिति यह है कि 60 प्रतिशत सुनार यहां चले गए। इस कारण जॉबवर्क लेकर ज्वैलरी बनाने वाले यूनिटों के लिए अस्तित्व का संकट खड़़ा हो गया है। बड़े ज्वैलर्स तो अपना जॉबवर्क अभी भी सरलता से करवा ले रहे हैं, लेकिन छोटे और मध्यम ज्वैलर्स के लिए समस्या खड़ी हो गई है। कई यूनिट संचालकों ने श्रमिकों की कमी के कारण अपना व्यवसाय बदल दिया और कई अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। कई यूनिट संचालकों ने श्रमिकों की कमी के कारण अपना व्यवसाय बदल दिया और कई अभी भी संघर्ष कर रहे हैं।
इंडिया गोल्ड लैब के वासुदेव अधिकारी ने बताया कि बड़ी कंपनियों के संचालकों ने ज्यादातर सुनार कारीगर नौकरी पर रख लेने के कारण ज्वैलरी बनाने वाले यूनिट संचालकों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। आगामी दिनों में परिस्थिति और खराब हो सकती है। आगामी दिनों में परिस्थिति और खराब हो सकती है।
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