इन कारणों से पिछड़ा सूरत -स्वच्छता सर्वे में यह देखा गया कि स्टेशन परिसर के पे एंड यूज की सफाई के लिए कर्मचारी तैनात हैं या नहीं, चौबीस घंटे में कितनी बार सफाई होती है। सूरत स्टेशन के पे एंड यूज में हमेशा पानी फैला रहता है। बेसिन तथा सीटें गंदी होने की शिकायतें भी आती हैं। शौचालयों की सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता।
-स्वच्छता सर्वे में मैकेनाइज क्लीनिंग वाले स्टेशनों को प्राथमिकता मिली। सूरत स्टेशन पर प्रभाकर इंटरप्राइजेज को सफाई का ठेका दिया गया है। प्लेटफॉर्म संख्या एक और दो पर ट्रैक की सफाई होती है। वहीं प्लेटफॉर्म संख्या तीन और चार के ट्रैक पर पीक आवर्स में काफी गंदगी रहती है। सोमवार को प्लेटफॉर्म एक और दो के बीच प्लास्टिक के थैलों में कचरा जमा कर रखा था, जिसे श्वानों ने फैला दिया था।
-सर्वे में डस्टबीन की उपलब्धता तथा उन्हें नियमित खाली किए जाने पर भी ध्यान दिया गया। सूरत स्टेशन पर सोमवार को एक-दो को छोड़ ज्यादातर डस्टबीन कचरे से भरे हुए थे। कुछ जगह गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग कंटेनर लगाए गए हैं। स्टील के आठ कंटेनर भी कचरा फेंकने के लिए लगाए गए हैं।
-स्टेशन परिसर में अनाधिकृत खाद्य सामग्री बेचने वाले फेरियों से यात्रियों को परेशानी होती है। सर्वे में फेरियों की संख्या पर भी ध्यान दिया गया। सूरत स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर फेरिए उल्टी दिशा से ट्रेन में चढ़ते हैं। यह फेरिए चाय, बड़ापाव, पुरी-भाजी समेत अन्य खाद्य सामग्री बेचते हैं। फुटओवर ब्रिज पर अनाधिकृत लोगों के बैठे रहने से भी पीक आवर्स में यात्रियों को परेशानी होती है।
-डस्टबीन के आसपास तथा रेलवे ट्रैक पर थूकने वाले लोगों पर कार्रवाई होती है, लेकिन उसे सिर्फ खानापूर्ति कहा जा सकता है। स्टेशन मैनेजर सी.एम. खटीक द्वारा थूकने वाले लोगों से जुर्माना वसूला जाता है। टिकट चैकर, रेलवे सुरक्षा बल, रेलवे पुलिस समेत दूसरे विभागों को भी थूकने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन बहुत कम कार्रवाई होती है।
तीन अंक का सुधार
सर्वे में तीन पायदान के सुधार के साथ सूरत स्टेशन २४वें नम्बर पर रहा है। अगले साल सूरत टॉप १० में आए, इसके लिए अभी से कार्य शुरू किया जाएगा। यात्रियों के फीडबैक में सूरत का स्कोर कम हुआ है, जिसका असर स्वच्छता रेटिंग पर पर पड़ा।
सी.आर. गरूड़ा, स्टेशन डायरेक्टर, सूरत