सूरत का कपड़ा बाजार गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। मंदी के कारण परेशान व्यापारी अन्य राज्यों से समय पर पेमेंट नहीं आने और पैसे डूब जाने की घटनाओं के कारण अब पुरानी पहचान वाले व्यापारियों से ही सौदे करना मुनासिब मान रहे हैं। नए व्यापारी और नए दलालों के माध्यम से व्यापार करने से पहले वह अच्छी तरह जांच-परख कर लेते हैं।
नोटबंदी और जीएसटी के कारण सूरत का कपड़ा व्यापार लडख़ड़ा कर चल रहा है। देश की ज्यादातर मंडियों में रिटेल मार्केट में खरीद नहीं होने के कारण सूरत का होलसेल व्यापार बुरी तरह प्रभावित है। सूरत के व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी से पहले प्रतिदिन चार करोड़ मीटर कपड़ों का उत्पादन होता है, जो अब घटकर ढाई करोड़ मीटर रह गया है। सूरत का व्यापार पिछले दो साल में करीब चालीस प्रतिशत कम हो गया है। अन्य राज्यों में भी रिटेल कारोबार बुरी तरह प्रभावित होने के कारण वहां के व्यापारी समय पर पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। पहले एक से तीन महीने में पेमेंट करने का नियम था, लेकिन अब छह महीनों तक पेमेंट नहीं आ रहा है। यदि सूरत के व्यापारी पेमेंट के लिए दबाव डालते हैं तो माल वापस भेज दिया जाता है। कई पार्टियों के पलायन कर जाने के कारण व्यापारियों के करोड़ो रुपए फंस गए हैं। उन पर मामला दर्ज कराने के बाद व्यापारियों को बार-बार कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।
नोटबंदी और जीएसटी के कारण सूरत का कपड़ा व्यापार लडख़ड़ा कर चल रहा है। देश की ज्यादातर मंडियों में रिटेल मार्केट में खरीद नहीं होने के कारण सूरत का होलसेल व्यापार बुरी तरह प्रभावित है। सूरत के व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी से पहले प्रतिदिन चार करोड़ मीटर कपड़ों का उत्पादन होता है, जो अब घटकर ढाई करोड़ मीटर रह गया है। सूरत का व्यापार पिछले दो साल में करीब चालीस प्रतिशत कम हो गया है। अन्य राज्यों में भी रिटेल कारोबार बुरी तरह प्रभावित होने के कारण वहां के व्यापारी समय पर पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। पहले एक से तीन महीने में पेमेंट करने का नियम था, लेकिन अब छह महीनों तक पेमेंट नहीं आ रहा है। यदि सूरत के व्यापारी पेमेंट के लिए दबाव डालते हैं तो माल वापस भेज दिया जाता है। कई पार्टियों के पलायन कर जाने के कारण व्यापारियों के करोड़ो रुपए फंस गए हैं। उन पर मामला दर्ज कराने के बाद व्यापारियों को बार-बार कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।
कराची से जैश आंतकियों का खत, 8 अक्टूबर तक रेलवे स्टेशनों और मंदिरों को उड़ाने की दी धमकी इन दिक्कतों में पडऩे के बजाय सूरत के व्यापारी अब उन्हीं के साथ व्यापार कर रहे हैं, जिनके साथ काफी पहले से व्यापार चल रहा है और जो भरोसेमंद हैं। वह नए व्यापारियों से सौदे करने से कतरा रहे हैं। नए दलालों को भी व्यापारियों ने तवज्जो देना बंद कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि बाजार में इन दिनों हालत पतली हैं। भले त्योहारों का माहौल है, लेकिन एक ओर माल की बिक्री कम है तो दूसरी ओर समय पर पेमेंट नहीं आ रहा है। इसलिए व्यापारी भले कम माल बिके, पेमेंट ज्यादा नहीं फंसे, ऐसी पॉलिसी अपना रहे हैं।
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जहां सुव्यवस्था, वहां कारोबार ठीक
साउथ गुजरात टैक्सटाइल टेड्रर्स एसोसिएशन के प्रमुख सावर प्रसाद बुधिया का कहना है कि हालांकि बाजार में पेमेंट की समस्या है, लेकिन जिन व्यापारियों का काम सुव्यवस्थित है, उनका कारोबार ठीक चल रहा है। एक अन्य व्यापारी बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि उधार बेचने से पहले यहां के व्यापारी को सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सामने वाली पार्टी कैसी है और उसका पेमेंट मिलने में कोई संदेह तो नहीं है।
साउथ गुजरात टैक्सटाइल टेड्रर्स एसोसिएशन के प्रमुख सावर प्रसाद बुधिया का कहना है कि हालांकि बाजार में पेमेंट की समस्या है, लेकिन जिन व्यापारियों का काम सुव्यवस्थित है, उनका कारोबार ठीक चल रहा है। एक अन्य व्यापारी बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि उधार बेचने से पहले यहां के व्यापारी को सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सामने वाली पार्टी कैसी है और उसका पेमेंट मिलने में कोई संदेह तो नहीं है।