scriptसूरत और मुंबई से तीन हीरा व्यापारियों का पलायन | The escape of three diamond merchants from Surat and Mumbai | Patrika News
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सूरत और मुंबई से तीन हीरा व्यापारियों का पलायन

पलायन के कारण छोटे व्यापारियों की हालत ज्यादा खराब हैं

सूरतNov 28, 2018 / 09:17 pm

Pradeep Mishra

हीरा

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सूरत
हीरा उद्योग में दिवाली के पहले चल रहा पलायन का दौर अभी तक जारी है। सूरत के महिधरपुरा हीरा बाजार में से एक उत्तर गुजरात के व्यापारी ने पलायन किए होने की चर्चा है। इसके पास व्यापारियों के 10 करोड़ रुपए फंसे होने की चर्चा है। इसी तरह अन्य घटनाओं में मुंबई हीरा बाजार में से भी दो हीरा व्यापारियों ने पलायन किए होने की चर्चा सूरत और मुंबई के हीरा बाजार में फैली है। दोनों ही सूरत और मुंबई के हीरा उद्यमियों से पॉलिश्ड हीरे खरीद कर व्यापार करते थे। एक व्यापारी के पास 15 और दूसरे हीरा व्यापारी के पास 20 करोड़ रुपए फंसे होने की चर्चा है। हीरा उद्योग में एक दिन में ही तीन पार्टियों के पलायन की चर्चा के कारण व्यापारी चिंतित हो गए हैं। पलायन के कारण छोटे व्यापारियों की हालत ज्यादा खराब हैं।
घरेलू बाजार में डायमंड ज्वैलरी की मांग बढऩे की उम्मीद
हीरा उद्यमियों और ज्वैलर्स के लिए आगामी महीनों में व्यापार बढऩे के अच्छे संकेत हैं। लग्नसरा के कारण डायमंड और गोल्ड ज्वैलरी मे घरेलू बाजार में डिमांड रहने की उम्मीद है।
हीरा उद्यमियों के लिए दिसंबर महीना व्यापार के नजरिए से खुब बढिय़ा रह सकता है। क्योंकि एक ओर क्रिसमस के कारण विदेशों में डायमंड की माग रहेगी, वहीं दूसरी ओर भारत में भी लग्नसरा के कारण ज्वैलरी की मांग बढऩे के आसार है। कुछ वर्षो पहलों तक डायमंड ज्वैलरी की बिक्री ज्यादातर विदेशों में ही होती थी। इस कारण स्थानीय उद्यमियों को निर्यात पर ही आधारित रहना पड़ता था, लेकिन कुछ वर्षो पहले से भारत में भी डायमंड ज्वैलरी का प्रचलन बढ़ा है। नई पीढी के युवा डायमंड ज्वैलरी पहनना और गिफ्ट करना पसंद करते हैं। मुंबई,कोलकाता,दिल्ली, पंजाब सहित कई राज्यों में डामयंड ज्वैलरी की अच्छी मांग रहती है। ज्वैलर्स के अनुसार आगामी दिनोंं में भारत में भी लग्नसरा की तिथियां होने से दुल्हन और उनके परिवारजनों के लिए डायमंड और गोल्ड ज्वैलरी की अच्छी बिक्री होगी। हीरा उद्यमियों का कहना है किए घरेलू बाजार भी डेवलप होने के कारण उनके लिए राहत हुई है क्योंकि अब तक यदि विदेश में हीरों का बाजार ठंड़ा रहता था तो उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता था, लेकिन भारत में भी व्यापार बढऩे के कारण उन्हें नया मार्केट मिल गया है
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