भागीरथी योजना ध्वस्त, पीएचई कंट्रोल रूम के संपर्क नंबर बंद
भागीरथी योजना ध्वस्त, पीएचई कंट्रोल रूम के संपर्क नंबर बंद
भागीरथी योजना ध्वस्त, पीएचई कंट्रोल रूम के संपर्क नंबर बंद
मई में अजनौर गांव में पेयजल संकट, ८ में से २ हैंडपंप चालू टीकमगढ़. अजनौर गांव मुख्यालय से २० किमी की दूरी पर है। इस गांव में कई मोहल्ले बसे हुए है। जहां की पेयजल व्यवस्था के लिए वर्षों पहले ८ हैंडपंप लगाए गए थे। जिसमें से दो हैंडपंप ही चालू है और भागीरथी योजना की टंकी शोपीस बनी है। उस टंकी से बिछाई गई पाइप लाइन चोरी हो गई है। मई महीने के शुभारंभ पर इन गांव के लोगों को पेयजल की तलाश करनी पड़ रही है। इन दिनों पेयजल ने बुजुर्गो का आराम और बच्चों का खेल छीन लिया है। वहीं पेयजल संबंधी समस्या के निदान के लिए पीएचई विभाग ने कंट्रोल रूम बनाया है और संबंधित का नंबर जारी किया है लेकिन वह बंद पड़े है।
नई आदिवासी बस्ती निवासी राम कुंवर आदिवासी, रम्बा आदिवासी, मैंदा बाई, भुमानी बाई, खरगी बाई, गुड्डी बाई, कोमल बाई, हिराबाई, फ ूलाबाई ने बताया कि अजनौर से 2 किमी दूर पानी को लेकर कुएं पर जाना पड़ता है। उसके बाद भी साफ और स्वच्छ नहीं मिल रहा है। उनका कहना था कि अजनौर गांव के नई आदिवासी वस्ती का हैंडपंप खराब है। पानी के लिए महिलाएं हार के खेत पर बने कुुएं पर पेयजल की तलाश में पहुंची है। कुएं के मुडेर पर खाली स्टील के खड़े रखकर रस्सी से पानी निकालने का प्रयास कर रही है।
पेयजल संकट में ग्रामीणों का छलका दर्द
आदिवासी मोहल्ला निवासी कूरा आदिवासी, हरचरन सौ, अमना आदिवासी, कल्ला, सुखराम, पंखी, कमला सौर, नंदू आदिवासी, अच्छे आदिवासी, बुद्धा सौर, बालू लोधी का पेयजल को लेकर दर्द छलका है। उनका कहना था कि सभी नेता अपने काम के लिए रोटी सैंकते है। पेजयल पूर्ति की मांग पर सिर्फ आश्वासन देते है। आदिवासी मोहल्ला में यहां के सैकड़ों लोग कैसे जीवन यापन कर रहे है, यहां रहकर पता लगा सकते है। आज तक पीएचई विभाग के छोटे कर्मचारियों से ल ेकर बड़े अधिकारियों ने मोहल्ला नहीं देखा है। डर लग रहा है कि पेयजल संकट किसी की जान ना ले लेे।
यह है गांव की स्थिति
अजनौर गांव के अमर सिंह लोधी, नंदू अहिरवार, बाबूलाल अहिरवार, शोभाराम अहिरवार, सुरेश अहिरवार, कैलाश अहिरवार, विक्रम अहिरवार, राजेश अहिरवार ने बताया कि कि अजनौर गांव में ३००० से अधिक लोग निवास करते है। गांव में सरकारी ५ से ६ कुएं है। लिनमें पानी कम है। ८ हैंडपंप है, जिसमें से २ चालू है जो एक घंटे में हवा फैंकने लगते है। पिछली विधानसभा के कार्यकाल में केके श्रीवास्तव द्वारा पानी की टंकी और पाइप लाइन को बिछाया गया था। ग्राम पंचायत द्वारा उनकी देखरेख नहीं की। जिसके कारण पाइप लाइन गायब और टंकी खराब हो गई है।
मटमेला पी रहे पानी, हो सकती है बीमारी
हैंडपंप खराब पड़े है। खेतों में बने कुंओं में भी पानी पर्याप्त नहीं है। सुबह से दोपहर तक पीने के लिए पानी निकालने से कम पड़ जाता है। जिसके कारण सभी को मटमेला पानी मिल रहा है। आदिवासी मोहल्ले के लोगों को डर सताने लगा है कि मटमेले पानी से कोई बीमार नहीं हो जाए। गांव के लोगों का कहना था कि अगर किसी भी व्यक्ति और पेयजल से कोई भी बीमारी होगी।
वहां पर पानी की समस्या का जल्द ही समाधान किया जाएगा। खराब हैंडपंपों का सुधार किया जाएगा। जिससे गांव के लोगों को गर्मी के समय पेयजल संबंधी समस्या उत्पन्न न हो।
अनिल लगरखा, ईई पीएचई विभाग टीकमगढ़।
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