कैलपुरा में गांव में दूषित पान पीने से दो दर्जन से अधिक लोग उल्टी-दस्त से बीमार बने हुए है। पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से गांव में फैल रही बीमारी के कारण पहले भी कई लोग इसकी चपेट में आ चुके है। ग्रामीणों की माने तो इससे अधिक लोग तो जिला चिकित्सालय में जाकर अपना उपचार करा चुके है। पिछले एक सप्ताह से फैल रही इस बीमारी के कारण गांव में दो वृद्ध महिलाओं की मौत हो चुकी है। वृद्ध महिलाओं की मौत के बाद जब स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी गई, तब बुधवार को पांच सदस्यी दल ने गांव में जाकर जांच एवं उपचार किया।
इनकी हुई मौत: एक सप्ताह से अधिक समय से फैल रही हैजा की बीमारी के कारण गांव में फूलनबाई पत्नि मुन्नी कुम्हार 60 वर्ष एवं साधु आदिवासी 60 वर्ष की मौत हो चुकी है। सरपंच प्रतिनिधि जानकी कुम्हार ने बताया कि मृतक फूलनबाई उनकी चाची थी। तीन-चार दिन से उल्टी दस्त होने पर स्थानीय डॉक्टर को दिखाकर दवा दी थी, लेकिन कोई फायदा नही हुआ। बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया। वहीं ग्रामीणों ने साधू आदिवासी की मौत का कारण भी उल्टी-दस्त बताएं है।
टीम ने की जांच: गांव में हैजा रोक की सूचना के बाद बीएमओ डॉ वीरेन्द्र सिंह एवं भरत तिवारी 5 सदस्यीय टीम के साथ गांव में पहुंचे। यहां पर उन्होंने उल्टी-दस्त के रोगियों की जंाच की। यहां पर गंभीर रूप से बीमार सावित्री पत्नि राकेश रजक एवं कृष्णा पत्नि हीरा आदिवासी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है। जबकि लगभग दो दर्जन अन्य लोगों को दवाओं का वितरण किया गया है। इसके साथ ही पूरे गांव में जांच कर लोगों को स्वच्छ पानी उपयोग करने की सलाह दी गई है।
दूषित पानी बताया जा रहा कारण: बीमएओ डॉ वीरेन्द्र सिंह का कहना था कि यह बीमारी मुख्य रूप से दूषित पानी एवं खाद्य पदार्थ के कारण होती है। उनका कहना है कि पूरा गांव तालाब किनारे स्थित हैंडपंप का पानी उपयोग करता है। बारिश के समय में प्राकृतिक जलश्रोतों से दूषित पानी आता है। उन्होंने पेयजल के श्रोतों के साथ ही अन्य गंदगी वाले स्थानों पर ब्लीचिंग पाउडर उपयोग करने के निर्देश दिए है।
कहते है अधिकारी: गांव में गंभीर मिले दो रोगियों को भर्ती कराने की सलाह दी थी। अन्य लोगों को भी दवाएं वितरित की गई है। लोगों को स्वच्छ पेयजल उपयोग करने की सलाह दी है। मैदान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यहां पर नियमित जांच करने की सलाह दी गई है।- डॉ वीरेन्द्र सिंह, बीएमओ, बल्देवगढ़।