गौरतलब है कि मनरेगा योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद था कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब मजदूरों को कम से कम 100 दिन रोजगार मिले। जिससे गरीब मजदूरों को मजदूरी के लिए शहरों की तरफ पलायान नहीं करना पड़े और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। इसलिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों को आदेश किया था कि गांवों में होने वाले विकास कार्यों में मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों से मजदूरी कराई जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया जा रहा हैं।
जुडावन में मशीनों से हो रहा डग प्वांट का निर्माण
ग्राम पंचायत में ५ लाख रुपए की लागत से डग प्वांइट और सडक़ निर्माण किया जा रहा है। डग प्वंाइट की काली मिट्टी उठाकर सडक़ निर्माण में डाली जा रही है। जबकि काम लेने के लिए गांव के मजदूर पहुंचे थे, लेकिन सरपंच और सचिव द्वारा मजदूरी की जगह मशीनों से निर्माण कार्य किया जा रहा है।
रात्रि और दोपहर में चलाई जा रही मशीनें, सोशल मीडिया पर आ रही वीडियो
ग्राम पंचायत भैंरा में सडक़ निर्माण और जुडावन में डग प्वांइट, सडक़ निर्माण कराने रात्रि और दोपहर के समय मशीनों को चलाया जा रहा है। इसका ग्रामीणों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है, लेकिन शिकायत का कोई असर नहीं हो रहा है। जिसके कारण मजदूरों को भरण पोषण के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यह रोजगार गारंटी योजना की प्रक्रिया
रोजगार गारंटी योजना में ६० फीसदी मजदूर और ४० फीसदी वाहनों से काम किया जाना चाहिए। ४० फीसदी में पानी का टैंकर, सडक़ पर रौलर, मजबूत खुदाई के साथ अन्य कार्य किया जाता है। ६० फीसदी में मजदूरों से कार्य कराया जाता है। जिसमें १०० वर्ग फीट यानि १० बाई १० की एक फुट गहरी खंती से मिट्टी उठाकर सडक़ पर डाली जाती है। एक दिन की मजदूरी २४३ रुपए है। लेकिन जिले के किसी भी सडक़ निर्माण खंतियों से मिट्टी नहीं उठाई जा रही है।
भंैरा और जुडावन ग्राम पंचायत की शिकायत आई थी। दोनों मामलों की जांच एई को सौंप दी है। जांच प्रतिवेदन के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
आशीष अग्रवाल, सीइओ जनपद पंचायत टीकमगढ़।