कोई भी लौकी 4 फीट से कम नही: अनुराग बताते है कि इस बार लगाई गई लौकी को देखकर वह स्वयं हैरान है। उनका कहना है कि वह अपने घर पर उपयोग करने के हिसाब से थोड़ी बहुत सब्जी लगाते रहते है। यह उनक शौक भी है। इस बार उन्होंने अपने गमले में काली मिट्टी और गोबर की खाद में लौकी के बीच डाले थे। इससे बनी बेल पर जो भी लौकियां लग रही है, वह काफी बड़ी हो रही है। उन्होंने बताया कि अब तक वह पांच-पांच फीट की बड़ी हो चुकी दो लौकियों को तोड़ चुके है। इसके साथ ही 4 लौकियां चार-चार फीट की थी। अब भी उनकी बेल में 3 बड़ी लौकियां लगी है। इनकी सभी की लंबाई भी 2.5 फीट से चार फीट की हो चुकी है। उनके पड़ौसियों के साथ ही जिले भी इसकी जानकारी होती है, वह इन लौकियों को देखने आ जाता है।
नीचे से ईंद का दिया सहारा: अनुराग की छत पर दो लौकियां तो दीवाल के किनारे लगी हुई है। वहीं एक लौकी तार से बीच छत पर पहुंची बेल पर लटक रही है। यह लौकी 2.5 फीट लंबी है और काफी मोटी भी है। इस लौकी को उन्होंने छत पर कुछ ईंट रख कर सहारा दिया है। वहीं इस बेल को भी कई जगह लकडिय़ों से सहारा दिया है। अनुराग बताते है कि उनकी छत पर सेम आदि की बेल भी लगी है। इस पूरे मौसम में वह घर की ही सेम और लौकी खा रहे है। उनका कहना है कि उन्होंने इन लौकियों के बीच को तैयार किया है। अब वह इसे अपने गांव में खेत पर भी लगाएंगे।