किसान बैजनाथ सिंह लोधी बताते है कि बंजर पड़ी जमीन पर कोई भी फसल नहीं उगा पाते थे। बोने के बाद उसका आकार छोटा ही रहता था। डूडा गांव निवासी मनोहर सिंह लोधी ने बंजर जमीन में पर्यावरण संरक्षण पौधें रौपने की प्रेरणा दी। छह साल में ७०० से अधिक कई प्रकार के पेड़ों की संख्या हो गई हैं। जिसमें सबसे अधिक अमरूद, नीबू, कटहल, सागौन, नीम के साथ अन्य पौधे पेड़ बन गए हैं। पिछले पानी खत्म हो गया था, जिससे पेड़ सूखने लगे थे, बालिटयों में पानी भरकर पौधों को सींचा, उसके बाद आज यह बंजर जमीन हरियालीदार दिखाई दे रही हैं। पहले मैदान दिखाई देता था, आज जंगल की तरह दिखाई दे रहा हैं। अब सिंचाई के लिए बोर का खनन करवा लिया हैं।
गांव के पास डेढ एकड़ से अधिक जमीन ककरीली और बंजर थी। जहां पौधरोपण तो हुआ हं, लेकिन सिंचाई का कोई साधन नहीं था। पौधरोपण के बाद बाल्टी से सिंचाई की। अब ट्यूब बैल के पंप नहीं है। मैदान से कुछ दूर तेजराम साहू के मोटर पंप से बाल्टी पर पानी लाकर सिंचाई किया है। आज भी यहां मोटर पंप नहीं है। इसके बाद भी 15 सालों तक बाल्टी से पानी लेकर पौधों को पेड बना दिया।