सूर्य को अध्र्य अनिवार्य: वहीं पहले दिन की कथा का शुभारंभ करते हुए राधेश्याम व्यास ने कहा कि ***** धर्म में केवल सूर्य एवं भगवान शिव को ही जल अर्पित किया जाता है। भगवान शंकर भी सूर्य देवता को अध्र्य देते है। वह भी अमृत का। भगवान शिव सूर्य देवता के उदय होने पर सबसे पहले उन्हें ेअमृत का अध्र्य देते है। इसलिए इस बेला को अमृत बेला भी कहा जाता है। इसके साथ ही राधेश्याम व्यास जी ने कथा में होने वाले महात्वपूर्ण अध्यायों को संक्षेप में बता कर कहा कि इन सबकों कथा के दौरान विस्तार से बताया जाएगा। उन्होंने श्रोताओं से नित्य प्रति कथा में शामिल होकर धर्मलाभ लेने की अपील की।
रात्रि को हुई रासलीला: इसके साथ ही रात्रि के समय वृंदावनधाम से आई रासलीला मंडली ने अपनी प्रस्तुती दी। आयोजन समिति के संजय नायक एवं जीतू सेन ने बताया कि यह आयोजन 9 जनवरी तक लगातार चलेगा। इसके बाद 10 जनवरी को भगवान शिव की परिवार सहित प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। 11 जनवरी को आयोजन स्थल पर ही भंडारे का आयोजन किया जाएगा। संजय नायक ने सभी धर्मप्रेमियों से आयोजन में शामिल होने की अपील की है। कलश यात्रा में मुख्य रूप से तारकेश्वर त्रिपाठी, हर्षवद्र्धन यादव, दीपक शुक्ला, नीरज बिदुआ, शिवम तिवारी, सोनू पारस, गौरव शर्मा, अमित श्रीवास्तव, अरविंद खेवरिया, रूपेश तिवारी बंटी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।