बांध व दह में आए दिन होते हादसों के बाद भी आला अधिकारियों ने बीसलपुर बांध व चौकी में संसाधनों की कभी पूर्ति नहीं की है और ना ही यहां परियोजना में गोताखोर को लगाया है, जिससे बांध व दह किनारे मृत लोगों के परिजनों को घंटों तक शव के इंतजार में बिलखना पड़ता है। ऐसे में गत वर्ष पवित्र दह से बनास में बहे निवाई के एक युवक का एक वर्ष से अधिक हो जाने के बाद भी अब तक हाथ नहीं लगा है।
इस बार चार मौतें, चारों को ग्रामीणों ने निकाला बीसलपुर पुलिस-प्रशासन के पास दह में डूृबे शव को पानी से बाहर निकालने के लिए यहीं पर ईजाद किया गया एक लोहे की कांटेनुमा लगभग ढाई फिट लम्बी एक बलाई है, जिसे भी यहां के स्थानिय नाव चालकों के भरोसे पर रस्सी के सहारे पानी में डाला जाता है। घंटों प्रयास के बाद अगर मृतक ने बनियान या अन्य कपड़े पहने हो तो शव पकड़ में आने की संभावना होती है।
इस वर्ष अब तक दह में डूबने से बंगाली कॉलोनी निवासी एक महिला, सांगानेर निवासी एक युवक, रेनवाल जिला जयपुर निवासी युवक व रविवार को हरियाणा हाल प्रताप नगर जयपुर निवासी हेमन्त कुमार सहित तीन युवकों व एक महिला की मौत हो चुकी है, जिनमें सभी केशव यहां के तैराक ग्रामीणों व नाव चालकों ने ही निकाले है।
रविवार को डूबे युवक का शव निकालने में बीसलपुर के भगवान केवट, संजय केवट, द्वारका केवट, कालू गुर्जर व रामफूल कीर सहित पुलिस चौकी के सिपाही मुकेश शर्मा ने अहम भूमिका निभाई है। जिन्होंने घटना के महज 45 मिनट के बाद भी शव को ढूंढकर पानी से बाहर निकाल लिया।
करीब 70 से 80 फिट गहरे पानी में बार-बार जान जोखिम में डालकर डूबकी लगाकर तो कभी नाव व बलाई के सहयोग से प्रशासन का साथ देकर गोताखोर की भांति बिना किसी लालच के शवों को बाहर निकालने वाले इन ग्रामीणों व तैराकों को प्रशासन की ओर से कभी याद तक नहीं किया जाता है।