टीका लगाने वालों की संख्या कम होने पर 6 प्रतिशत टीके खराब भी हुए हैं। चिकित्सा विभाग के मुताबिक जिले में जहां 23 हजार लोगों के टीके लगाए गए। वहींं करीब एक हजार टीके खराब भी हो चुके हैं। इसका कारण यह है कि एक पैकेट में 10 टीके आते हैं और यह सभी टीके खुलने के बाद तुरंत ही काम लिए जाते हैं, लेकिन कई बार टीका लगाने वालों की संख्या कम होने पर बचे हुए टीके दोबारा फ्रीज में नहीं रखे जा सकते और वे खराब हो जाते हैं।
ऐसे एक हजार टीक खराब हो चुके हैं। चिकित्सा विभाग का मानना है कि टीकाकरण जिले में सुबह से शुरू होता है। दोपहर तक 10 टीका लगाने वाले पहुंच जाते हैं उनके टीके लग जाते हैं, लेकिन शाम के समय कई बार टीका लगाने वालों की संख्या 10 से कम होती है और टीका लगाना जरूरी होने पर पैकेट खोल दिया जाता है।
ऐसे में बचा हुआ टीका दोबारा फ्रीज में नहीं रखा जा सकता और वह खराब हो जाता है। कई को दूसरे दिन टीका लगाने का कह दिया जाता है, लेकिन पंजीयन की बाध्यता के चलते टीका करण किया जाता है।
तीसरे चरण में जारी है टीकाकरण
जिले में कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण सोमवार से शुरू हुआ है। इसमें गम्भीर बीमार 138 तथा 60 साल से अधिक उम्र के 1139 लोगों के टीके लगाए गए। तीसरे चरण में दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर तक 1458 लोगों के टीके लगाए गए।
फिर से बरत रहे हैं लापरवाही
कोरोना महामारी का प्रकोप अभी थमा नहीं है। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर जिले में अब तक 36 जनों की मौत हो चुकी है। वहीं जिले में अब तक 3 हजार 802 पॉजिटिव आ चुके हैं। शुरुआती दिनों में तो लोगों ने सतर्कता बरती, लेकिन अब फिर से लोग बेफिक्र हो गए हैं।
इससे महामारी फिर से बढ़ सकती है। बाजार में लोग बिना मास्क के घूमते रहते हैं। भीड़भाड़ भी कई बार हो जाती है।
एक साथ नहीं लगने पर होते हैं खराब
जिले में अब तक 23 हजार के टीके लग चुके हैं। टीका लगाने वाले एक साथ नहीं आने पर खुला हुआ टीका दोबारा फ्रीज में नहीं रखा जा सकता और वह खराब हो जाता है। जिले में 6 प्रतिशत टीके खराब हो चुके हैं।
– डॉ. अशोक कुमार यादव, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी