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वन विभाग व सवाईचक भूमी पर बजरी माफिया की नजर, 40 बीघा से अधिक भूमी पर किया बजरी का स्टॉक

Gravel stock on government land राजमहल व बीसलपुर क्षेत्र में माफिया की नजर वन विभाग की ढलानयुक्त भूमि पर है।

टोंकAug 02, 2019 / 06:16 pm

pawan sharma

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वन विभाग व सवाईचक भूमी पर बजरी माफिया की नजर, 40 बीघा से अधिक भूमी पर किया बजरी का स्टॉक

राजमहल. कस्बे सहित आस-पास के क्षेत्र में बजरी माफिया अब खातेदारी की जमीन छोडकऱ वन विभाग व सवाईचक जैसी जमीनों पर नजरें डालने लगे है। राजमहल व बीसलपुर क्षेत्र में माफिया की नजर वन विभाग की ढलानयुक्त भूमि पर है। जहां बारिश के मौसम में भी बजरी के कारोबार को अंजाम दे सके।
ग्रामीणों की ओर से वन विभाग के आला अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी विभाग के नुमाइंदे माफिया के प्रति कार्रवाई में परहेज करते नजर आ रहे है। राजमहल क्षेत्र में वन विभाग की लगभग 40 बीघा से अधिक भूमि बजरी स्टॉकों की गिरफ्त में आ चुकी है।
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इसी प्रकार बीसलपुर बांध की ओर जाने वाले गेट संख्या तीन के करीब जहां से रोजाना जिले सहित सरकार के आलाअधिकारी गुजरते है, उसके पास तक लोगों ने इन दिनों बजरी का स्टॉक लगा दिया है। बजरी खनन रोकने में एसआईटी में पांच पहरेदारों में शामिल वन विभाग खुद ही आंखें बंद किए हुए है।
जला रहे जंगल, कर रहे कब्जा- राजमहल के वन नाका के करीब नाचनियां वाली नाड़ी के पास पिछले कुछ दिनों से वन विभाग की भूमि पर जेसीबी मशीन से आए दिन जंगल सफाई करवाकर बजरी के स्टॉक करने की होड़ सी लगी हुई है। यह क्षेत्र राजमहल वन नाका से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।
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यहां बजरी माफिया की ओर से आए दिन पहले जंगल में आग लगी दी जाती है, फिर जेसीबी मशीन से सफाई करवाकर देखते ही देखते बजरी का ढेर लगा दिया जाता है।
अब तक वन क्षेत्र के सैकड़ों पेड़ बजरी माफिया के चलते आग की भेंट चढ़ चुके है। ग्रामीणों ने इसको लेकर उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, जिला कलक्टर, पुलिस सहित मुख्यमंत्री तक शिकायतें कर चुके है, लेकिन सब कार्रवाई के नाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठे है।
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इनका कहना है-
अगर ऐसा है तो जल्द ही जांच करवाकर वन भूमि से कब्जा हटाने के साथ ही अवैध बजरी के स्टोकों पर कार्रवाई करवाएंंगे।
हरेन्द्र सिंह नाथावत रैंजर वन विभाग देवली।

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