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पत्रिका जायका : 48 साल से माणक की कचौरी का स्वाद बरकरार

निवाई शहर के लोग जो बाहर रहते है, वह निवाई आने पर कचौरी अवश्य खाते है तथा साथ लेकर भी जाते है। माणक चंद हलवाई ने बताया कि प्रतिदिन करीब एक हजार से अधिक कचौरी बिक जाती है।

टोंकApr 19, 2021 / 09:19 am

pawan sharma

पत्रिका जायका : 48 साल से माणक की कचौरी का स्वाद बरकरार

पत्रिका जायका : 48 साल से माणक की कचौरी का स्वाद बरकरार

निवाई. शहर के बीचोंबीच स्थित 48 वर्षों से माणक की दुकान पर बन रही कचौरी का स्वाद लोगों की जबान पर चढ़ा हुआ है। माणक चंद हलवाई की दुकान में कचौरी पर अमचूर की लाल चटनी के साथ नमकीन डालकर खाने का लोग सुबह से शाम तक लुफ्त उठाते है। समय के साथ महंगाई बढऩे पर कचौरी के दाम बढ़ाते गए, लेकिन स्वाद में कोई बदलाव नहीं आने दिया।सुबह 7 से शाम 6 बजे तक कचौरी खाने तैयार रहते है।
शहर के लोग दुकान के बाहर खड़े रहकर भी कचौरी खाने का आनन्द लेते है। शहर के लोग सुबह दुकान खुलने के साथ ही कचौरी बनने का इंतजार करते है। माणक चंद हलवाई का कहना है कि कचौरी, चटनी और नमकीन के लिए तेल व मसालों की गुणवत्ता पर लगातार ध्यान दिया जाता, जिससे कचौरी व चटनी का स्वाद 48 वर्षो से वैसा बरकरार है।
निवाई शहर के लोग जो बाहर रहते है, वह निवाई आने पर कचौरी अवश्य खाते है तथा साथ लेकर भी जाते है। माणक चंद हलवाई ने बताया कि प्रतिदिन करीब एक हजार से अधिक कचौरी बिक जाती है। कचौरी में साबूत काली मिर्च और चटपटेदार मसाला हर किसी की जुबान पर है। उन्होंने बताया किउनकी तीसरी पीढ़ी कचौरी बनाने का कार्य कर रही है।

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