परिवादी सिविल लाइन निवासी मोतीलाल मीणा ने एसीबी के समक्ष परिवाद दायर किया था कि उसके पुत्र रामअवतार ने 4 फरवरी 2011 को बावड़ा मोहल्ला निवासी आहमद अली से जमीन खरीदी थी। उसने कब्जा लेकर बाड़ा बना लिया। समीप पहाड़ होने से बरसात का पानी बाड़े से मकान तक आता था।
ऐसे में नाली का निर्माण कराने के लिए जमीन को समतल करना था। जमीन समतल कराने की स्वीकृति के लिए तहसीलदार को आवेदन किया था। इसमें स्वीकृति नहीं दी जा रही थी। कई बार चक्कर लगाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बाद में पटवारी जगदीश प्रसाद जाट ने स्वीकृति जारी कराने के लिए 50 हजार रुपए की मांग की।
इस पर परिवादी ने रकम ज्यादा बताकर मना कर दिया। बाद में उनके बीच मामला 10 हजार रुपए में तय हो गया। इस बीच परिवादी ने एसीबी में परिवाद दायर कर दिया। एसीबी ने मामले का सत्यापन कर 500 के 20 रंग लगे नोट देकर मोतीलाल को भेज दिया। तय समय अनुसार मोतीलाल मीणा तहसील कार्यालय में बैठे पटवारी को ये राशि दे दी। कुछ देर बाद ही मौके पर पहुंची एसीबी टीम ने उसे पकड़ लिया।