चम्पक लाल पूरी तरह से निराश हो जाते है यह जानकर कि वह गलती से ठाणे शहर के गोकुलधाम सोसाइटी में पहुंच चुके हैं। लेकिन तभी अचानक उन्हें वहा एक आदमी पहचान लेता है। संयोग से चम्पक लाल को पता चलता है कि वह आदमी उसी नाथा के बेटे है जिसके लिए वह तोहफा खरीदने अपने घर से निकले थे। पहचान हो जाने पर वह चम्पक लाल को जेठा लाल से फ़ोन मिलाकर देता है।
बापूजी सही सलामत हैं, यह जानकर जेठालाल और गोकुलधाम के अन्य सदस्य की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता और इसी जोश में वह बापूजी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जेठा लाल सभी को गलतफहमी में बताते है कि बापूजी इंस्पेक्टर चालू पांडे के साथ पुलिस थाने में हैं। सभी गोकुलधामवासी उत्साह में मिठाई और फूल लेकर इंस्पेक्टर चालू पांडे का शुक्रिया अदा करने पुलिस थाने पहुंच जाते हैं। तभी उन्हें पता चलता है कि चम्पक लाल पुलिस थाने में नहीं बल्कि ठाणे शहर में अपने दोस्त के घर पर उनका जन्मदिन मना रहे हैं।
इससे पहले वाले एपिसोड में जेठालाल यानी कि दिलीप जोशी को ढोलक बजाते हुए दिखाया गया। बापूजी को ढूंढ़ने में मदद के लिए गोकुलधाम वासियों ने रामधुन का जप किया। जहां एक तरफ रामधुन के जप के साथ भिड़े और अन्य लोग मंझीरा बजा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ जेठालाल ने पूरी शूटिंग में मनमुग्ध कर देनी वाली ढोलक बजाई। शूटिंग पर मौजूद सभी लोग दिलीप के इस हुनर को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। शूटिंग ख़त्म हो जाने के बाद लोगों ने दिलीप के ढोलक बजाने की तारीफ़ की और सभी के विनती करने पर फिर से ढोलक बजा कर सुनाई।