scriptगरीब के निवाले का कोई धणी-धोरी नहीं, जली हुई रोटियां, बेस्वादी है सब्जी | Annapurna rasoi yojana-annapurna rasoi-free food-udaipur news | Patrika News
उदयपुर

गरीब के निवाले का कोई धणी-धोरी नहीं, जली हुई रोटियां, बेस्वादी है सब्जी

प्रदेश में नई सरकार के आते ही तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई ‘अन्नपूर्णा रसोई’ Annapurna rasoi yojana के वाहनों के वाहनों पर लगे मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही बदला हो, लेकिन गरीब के निवाले का कोई रखवाला नहीं है। उन्हें अब भी जली रोटियां एवं पानी सी दाल नसीब हो रही है। बेस्वादी सब्जी की शिकायत भी निरंतर बनी हुई है। ऐसे हालात तब बने हुए हैं, जब पिछले दिनों ही नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी की ओर से रसोई से जुड़े सुपरवाइजर की जमकर फटकार लगाई गई थी। बता दें कि बिना मसाले के बेस्वादी भोजन को लेकर स्थानीय लोगों का इस भोजन पर से विश्वास उठ गया है।

उदयपुरJun 24, 2019 / 07:33 pm

Bhagwati Teli

उदयपुर/कानोड़. प्रदेश में नई सरकार के आते ही तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई ‘अन्नपूर्णा रसोई’ Annapurna Rasoi yojana के वाहनों के वाहनों पर लगे मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही बदला हो, लेकिन गरीब के निवाले का कोई रखवाला नहीं है। उन्हें अब भी जली रोटियां एवं पानी सी दाल नसीब हो रही है। बेस्वादी सब्जी की शिकायत भी निरंतर बनी हुई है। ऐसे हालात तब बने हुए हैं, जब पिछले दिनों ही नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी की ओर से रसोई से जुड़े सुपरवाइजर की जमकर फटकार लगाई गई थी। बता दें कि बिना मसाले के बेस्वादी भोजन को लेकर स्थानीय लोगों का इस भोजन पर से विश्वास उठ गया है।
आलम यह है कि 8 रुपए प्रति थाली में बिकने वाले रसोई annapurna rasoi के भोजन को कोई खाने वाला नहीं है। सरकार से प्रति थाली 60 रुपए का भुगतान उठाने वाली ठेका एजेंसी के प्रतिनिधि 52 रुपए प्रति थाली पर मिलने वाली कमाई के लिए इस भोजन को समीपवर्ती झुग्गी-झोपडिय़ों में free food बांट रहे हैं। एक जानकारी के मुताबिक कस्बे में प्रतिदिन 3 सौ लोगों को इस अन्नपूर्णा रसोई की सुविधाएं देने के दावे किए जा रहे हैं।
सुधार की थी उम्मीद!
सरकार बदलते ही रसोई के वाहनों का रंग बदल गया। पूर्व मुख्यमंत्री के फोटो के स्थान पर वर्तमान सरकार के मुखिया का चित्र बदला गया। लेकिन, योजना के शुरुआती दौर में परोसे गए भोजन का स्वाद लेने के लिए लोग आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन जिम्मेदार एजेंसी के स्तर पर बरती जा रही उदासीनता से प्रतिदिन 8 रुपए खर्चकर भोजन खरीदने वाले लोगों की संख्या महज दो से तीन ही सामने आ रही है। भोजन के नाम पर मीठी लापसी, पानी वाली काली मटमेली दाल,आलू की सब्जी, खिचड़ी और कई बार आलू की कड़ी इस भोजन में शामिल हुई दिखती है।
फिर से बदलेगा नाम और फोटो !
नई खबर यह है कि कुछ समय पहले ही बदले गए वाहनों के रंग और मुखिया के चित्र में फिर बदलाव होगा। सूचना है कि योजना को केंद्र सरकार ने अपने अधीन ले लिया है। ऐसे में वाहनों पर फिर से भगवा रंग दिखने के साथ मुखिया के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र दिखाई देगा।

सेवन योग्य नहीं भोजन
शुरुआती दौर में योजना के तहत अच्छा भोजन परोसा गया था। लेकिन, अब स्थानीय लोगों की ओर से नियमित तौर पर बेस्वादी भोजन की शिकायतें मिल रही हैं। योजना का भोजन मांगरोल, निंबाहेड़ा से आ रहा है। सुधार के लिए उच्चाधिकारियों को लिखेंगे। – अनिल शर्मा, अध्यक्ष, नगरपालिका कानोड़
योजना के तहत परोसा जा रहा खाना अगर सही नहीं है, तो सबंधित अधिकारियों को लिखा जाएगा । भोजन को जांचा भी जाएगा। पूर्व में भी शिकायत पर भोजन सुधारने को निर्देशित किया गया था।
– कुंदन देथा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका कानोड़
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो