![यहां मुद्दो से अधिक चर्चा कांग्रेस के अंतर्कलह की, मुकाबला भाजपा और बीएपी में सिमटा](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/04/12/12boss_1_8809930-m.jpg)
![यहां मुद्दो से अधिक चर्चा कांग्रेस के अंतर्कलह की, मुकाबला भाजपा और बीएपी में सिमटा](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/04/12/12banswara_8809930-m.jpg)
चुनावी मूड भांपने के दौरान शहर और गांव का रुख अलग दिखा। नगर क्षेत्र में लोग राममंदिर, मोदी के चेहरे और धारा 370 की बात करते नजर आए तो ग्रामीण इलाकों युवा अधिक मुखर दिखे। पिछले विधानसभा चुनाव में जो युवा चुप्पी साधे थे, वो ही अब मुखर होकर बात करते दिखे।
बागीदौरा बाजार में दिखा कुछ अलग ही माहौल
बांसवाड़ा से हम बागीदौरा बाजार पहुंचे। यहां लोकसभा के साथ ही विधानसभा का उप चुनाव भी है। यहां माहौल बिल्कुल जुदा दिखा। पिछले चुनाव में जिन्होंने कांग्रेस का झंडा उठाया था, वे भाजपा की भाजपा की बात करते नजर आए। कातरिया निवासी वीरभद्र सिंह ने बताया कि यहां भील प्रदेश की मांग को लेकर आदिवासी युवाओं में आक्रोश है। चुनाव कठिन है। बात कांग्रेस के मूल वोटर पर टिकी है। ये किस ओर रुख करते हैं। बागीदौरा में निश्चित तौर पर महेंद्रजीत सिंह मालवीया बड़े चेहरे हैं। वहीं रवि ने बताया कि यहां भाजपा ने मालवीया को कांग्रेस से लाकर चुनाव को कठिन बना दिया है। लोग विकास के नाम पर वोट करेंगे। दरअसल, कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीया के भाजपा ज्वाइन करने के बाद बागीदौरा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी है। यहां से भाजपा ने सुभाष तम्बोली को मैदान में उतारा है, जबकि बीएपी ने जयकृष्ण पटेल और कांग्रेस ने कमलकांत कटारा को टिकट दिया है। हालांकि बाद में कांग्रेस के नेतृत्व ने बीएपी को समर्थन देने की बात कही, जिसके बाद प्रत्याशी ने बगावत कर दी है।
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बांसवाड़ा लोकसभा सीट से भाजपा ने महेंद्रजीत सिंह मालवीया को टिकट दिया है, जबकि उनके सामने भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत मैदान में हैं। रोत डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। कांग्रेस यहां पहले बीएपी से गठबंधन करने वाली थी, लेकिन बाद में अरविंद डामोर को टिकट दे दिया। हालांकि नामांकन वापसी से एक दिन पहले पार्टी ने बांसवाड़ा लोकसभा सीट और बागीदौरा विधानसभा सीट पर बीएपी को समर्थन देने की घोषणा की और प्रत्याशी से नाम वापस लेने के लिए कहा। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। दोनों प्रत्याशियों ने नाम वापस नहीं लिया और चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। इसके बावजूद कांग्रेेस लगातार बीएपी को समर्थन देने की बात कह रही है।
प्रमुख मुद्दे
पलायनः पलायन यहां का बड़ा मुद्दा है। रोजगार की तलाश में लोग गुजरात का रुख करते हैं।
रेल लाइनः कई दशकों से बांसवाड़ा रेल लाइन के लिए संघर्ष कर रहा है।
माही जल समझौता : राजस्थान व गुजरात सरकार के बीच पानी को लेकर विवाद नहीं सुलझ रहा है।
चिकित्साः यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। मरीजों को उदयपुर या गुजरात पर निर्भरता।
आठ विधानसभा क्षेत्र हैं बांसवाड़ा में
बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। बांसवाड़ा, कुशलगढ़ और घाटोल में कांग्रेेस विधायक हैं, जबकि बागीदौरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव है। बीजेपी की बात करें तो यहां की डूंगरपुर और सागवाड़ा सीट पर उसका कब्जा है। बीएपी के पास चौरासी सीट है।
स्ट्राइक रेट
कांग्रेस-12 बार चुनाव जीत चुकी है
भाजपा-3 बार चुनाव जीत चुकी है
अन्य-2 बार चुनाव जीत चुके हैं
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