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उदयपुर

करोड़ों रुपए खर्च कर भी प्यासे हैं इन इलाकों में ग्रामीणों के गले

सोम कमला आंबा बांध की 25 करोड़ की पेयजल योजना का मामला, सलूम्बर-सराड़ा के 84 गांवों को लाभान्वित करना था, हकीकत में दो दर्जन टंकियों में नहीं पहुंचा पानी

उदयपुरJul 07, 2019 / 11:40 pm

Sushil Kumar Singh

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करोड़ों रुपए खर्च कर भी प्यासे हैं इन इलाकों में ग्रामीणों के गले

उदयपुर/ झल्लारा. करोड़ो रुपए का बजट देकर सरकारें ग्रामीण जनता के लिए मूलभूत आवश्यकता में पेयजल सुविधा जुटाने के लिए भले ही कितने दावे करे, लेकिन गांवों की तस्वीर हकीकत से कोसों दूर है। जी हां! हम बात कर रहे हैं सोम कमला आंबा बांध से क्षेत्र को मिलने वाली पेयजल सुविधा के लिए खर्च हुए 25 करोड़ की लागत वाली पेयजल योजना की। सरकारी दावों के तहत जन स्वास्थ्य अभियंात्रिकी विभाग ने निर्धारित बजट से सलूम्बर के 53 और सराड़ा के 26 यानी कुल 80 गांवों को पेयजल सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही तस्वीर बयां कर रही है। मामले को लेकर राजस्थान पत्रिका के इस संवाददाता ने पड़ताल की तो सच्चाई कुछ ओर ही बयां करती मिली। सामने आया कि दावों के विपरीत गांवों को सप्लाई देने वाली योजना की करीब दो दर्जन से अधिक टंकियों में निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप पानी ही नहीं पहुंच रहा है। सलूम्बर पंचायत समिति से पूर्नगठन के बाद बनी झल्लारा पंचायत समिति में अकेले करीब दो दर्जन टंकियां खामियों का शिकार होकर जर्जरता की ओर अग्रसर हैं। शुद्ध पेयजल का सपना संजोए लोगों को उल्टा गिरते जल स्तर, जवाब दे रहे हैंडपंपों को लेकर चिंता सताने लगी है। लोग कुएं और बावड़ी के पानी में फिर से आश्रित हो रहे हैं। बिना ट्रीटमेंट के सीधे पीने वाले पानी से ग्रामीण स्वास्थ्य पर भी संकट के हालात बने हुए हैं। ऐसे में योजना से जुड़े जिम्मेदारों एवं उनकी सोच पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आश्वासन के भरोसे
विभागीय जिम्मेदारों की ओर से आश्वासन का सिलसिला बरकरार है। बताया कि वर्ष 2007/08 में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय किसी राजस्व गांव में किसी गांव में एक तो किसी में दो से तीन टंकिया बनाई गई, जिसे समय पर पाइप लाइन सुविधा से भी जोड़ा गया। हर टंकी करीब 35 से 40 हजार लीटर की बनी। निर्माण लागत भी 6 से 8 रुपए प्रति वर्ग फीट आई थी, लेकिन अब खामियों का शिकार ये टंकियां बर्बाद होने की कगार पर हैं।
यहां बदहाली के आंसू
सराडा पंचायत समिति के बागफला, जोनपुरिया, झल्लारा के ग्राम पंचायत करांकला के कुंडली में तीन, नयागांव में चार, गामड़ी में दो तथा अमलोदा ग्राम पंचायत में १, हीकावाड़ा में तीन, मीणा बस्ती, माजावतों का गुड़ा, हेमा का टांडा, धोलीमंगरी, विरवास की भागल, समोड़ा, जैताना पंचायत के कुबेरपुरा, छोटी वीरवा, बड़ी वीरवा, देवली, आमलवा बड़ी टंकी, अलावत फंला, उपला धावड़ा, झींझणी कला, जोधपूर खुर्द, पंचायत के मूलगुड़ा, झाीझणी खुर्द, जोधपूर कलां, कल्याणा, पायरा भैरवजी मंगरी सहित कई टंकियों में आज दिन तक पानी नहीं पहुंचा है।
आबादी से दूर शोपीस
शेषपुर गांव में पेयजल टंकी को आबादी से दूर बनाया गया है, जो महज शो पीस बन कर रह गई है। विभाग की ओर से टंकी पर सफाई की दिनांक लिखी जाती है, लेकिन आबादी से दूर इस टंकी के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पहुंच के बाहर टंकी वीरानी में दिन गुजार रही है।
लापरवाही की हद
पंचायत समिति साधारण सभा व जिला परिषद की बैठक में दो दर्जन टंकियों में पानी नहीं पहुंचने की बात रखी है। बर्बादी का शिकार हो रही टंकियों की हकीकत से भी उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सुशीला कुंवर जिला परिषद सदस्य
जारी हैं प्रयास
योजना के तहत सीमेंट की पाइप लाइन डाली गई थी। उस समय सड़कें नहीं बनी थी। सड़क निर्माण के बीच सप्लाई पाइप लाइनें टूट गई हैं। इनमें सुधार का कार्य जारी है। दो माह में समस्या का समाधान करने का लक्ष्य है।
अरविंद व्यास, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग सलूम्बर

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