विभागीय जिम्मेदारों की ओर से आश्वासन का सिलसिला बरकरार है। बताया कि वर्ष 2007/08 में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय किसी राजस्व गांव में किसी गांव में एक तो किसी में दो से तीन टंकिया बनाई गई, जिसे समय पर पाइप लाइन सुविधा से भी जोड़ा गया। हर टंकी करीब 35 से 40 हजार लीटर की बनी। निर्माण लागत भी 6 से 8 रुपए प्रति वर्ग फीट आई थी, लेकिन अब खामियों का शिकार ये टंकियां बर्बाद होने की कगार पर हैं।
सराडा पंचायत समिति के बागफला, जोनपुरिया, झल्लारा के ग्राम पंचायत करांकला के कुंडली में तीन, नयागांव में चार, गामड़ी में दो तथा अमलोदा ग्राम पंचायत में १, हीकावाड़ा में तीन, मीणा बस्ती, माजावतों का गुड़ा, हेमा का टांडा, धोलीमंगरी, विरवास की भागल, समोड़ा, जैताना पंचायत के कुबेरपुरा, छोटी वीरवा, बड़ी वीरवा, देवली, आमलवा बड़ी टंकी, अलावत फंला, उपला धावड़ा, झींझणी कला, जोधपूर खुर्द, पंचायत के मूलगुड़ा, झाीझणी खुर्द, जोधपूर कलां, कल्याणा, पायरा भैरवजी मंगरी सहित कई टंकियों में आज दिन तक पानी नहीं पहुंचा है।
शेषपुर गांव में पेयजल टंकी को आबादी से दूर बनाया गया है, जो महज शो पीस बन कर रह गई है। विभाग की ओर से टंकी पर सफाई की दिनांक लिखी जाती है, लेकिन आबादी से दूर इस टंकी के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पहुंच के बाहर टंकी वीरानी में दिन गुजार रही है।
पंचायत समिति साधारण सभा व जिला परिषद की बैठक में दो दर्जन टंकियों में पानी नहीं पहुंचने की बात रखी है। बर्बादी का शिकार हो रही टंकियों की हकीकत से भी उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सुशीला कुंवर जिला परिषद सदस्य
योजना के तहत सीमेंट की पाइप लाइन डाली गई थी। उस समय सड़कें नहीं बनी थी। सड़क निर्माण के बीच सप्लाई पाइप लाइनें टूट गई हैं। इनमें सुधार का कार्य जारी है। दो माह में समस्या का समाधान करने का लक्ष्य है।
अरविंद व्यास, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग सलूम्बर