READ MORE: उदयपुर में यहां कार की चपेट में आने से युवक की मौत, ये वजह थी एक्सीडेंट की जनसहभागिता से हो रखरखावरियासतकालीन संपत्तियों को घाटा पूर्ति के लिए बेचने का निर्णय सरकार अपने स्तर पर कैसे कर रही है, यह आमजन की समझ के बाहर है। जन सहभागिता से इन विरासत या सम्पत्तियों का समुचित रखरखाव करना चाहिए। ऐसी योजनाएं तो मान्य और स्वीकार हो सकती हैं कि यहां अध्ययन केन्द्र या संग्रहालय स्थापित करने पर ईमानदारी से काम हो।
श्यामसुंदर राजोरा, वरिष्ठ नागरिक, उदयपुर देश में स्थाई विकास की बात हो रही है जबकि सरकार जमीनें और हैरिटेज सम्पत्तियां बेचकर अस्थाई कमाई में जुटी है। शिक्षा, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों का भी निजीकरण कर रही है। खासा कोठी हैरिटेज बिल्डिंग है। सरकार पर्यटन के लिहाज से नहीं चला पा रही तो इसका इस्तेमाल चिकित्सा के लिए किया जाना चाहिए। गर्वनमेंट हॉस्टल की तर्ज पर इसका उपयोग होना चाहिए।
लाडकुमारी जैन, पूर्व अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
घाटा पूर्ति के लिए विरासतों को बेचकर उन्हें खुर्द-बुर्द नहीं किया जा सकता। यूनेस्को की मान्यतानुसार संस्कृति तो सामूहिक विरासत होती है। सरकारों को चाहिए कि उसे सहेजे, संरक्षण दे।
डॉ. अनुभूति चौहान, प्रतिमा शास्त्रविद्, उदयपुर