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उदयपुर

गुरु ज्ञान यहां तो पोषाहार वहां, घाटी से गढ़ तक चढ़ाई करते हैं होनहार

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तीतरड़ी अव्यवस्था का शिकार

उदयपुरSep 15, 2019 / 06:06 pm

Krishna

गुरु ज्ञान यहां तो पोषाहार वहां, घाटी से गढ़ तक चढ़ाई करते हैं होनहार

गुरु ज्ञान यहां तो पोषाहार वहां, घाटी से गढ़ तक चढ़ाई करते हैं होनहार

चंदन सिंह देवड़ा/उदयपुर . सरकार स्कूलों में अव्यवस्थाओं का आलम तो खूब देखा होगा लेकिन एेसा कहीं देखने को नहीं मिलेगा। एक ही विद्यालय एक किलोमीटर के दायरे में स्थित तीन भवनों में संचालित हो रहा। बच्चे पढ़ते कहीं हैं और पोषाहार खाने खाने के लिए कहीं और जाते हैं। यह स्थिति कहीं दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र की नहीं बल्कि शहर से सटे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तीतरड़ी की है। सर्वाधिक परेशानी घाटी स्कूल में पढऩे वाले कक्षा 6 से 8 वीं के बच्चों को उठानी पड़ती है जिनको रोजाना पोषाहार खाने के लिए सडक़ पार कर आधा किमी दूर स्थित गढ़ स्कूल में आना-जाना पड़ता है। रसोईघर होने के बावजूद घाटी स्कूल में खाना नहीं बनता जिससे बच्चों का भोजनावकाश में ही एक घंटा खराब हो जाता है।

शिक्षकों की हाजरी के लिए घूमता है रजिस्टर


तीन भवनों में स्कूल संचालित होने से बच्चे ही नहीं, शिक्षक भी परेशान हैं। संस्था प्रधान कभी हीरा बावड़ी स्कूल भवन में तो कभी अन्य भवनों में बैठती हैं। एक भवन नहीं होने से निगरानी ठीक से नहीं हो पाती है। शिक्षकों की हाजरी के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को रोजाना रजिस्ट्रर लेकर एक से दूसरे स्कूल भवन की दौड़ लगानी पड़ती है।
स्कूल मर्ज होने से खड़ी हुई परेशानी


तीतरड़ी का स्कूल बरसों तक गढ़ में चल रहा था। बाद में घाटी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय का नया भवन बना। इसमें इतनी जगह नहीं की है कि गढ़ और घाटी के सभी बच्चे आराम से बैठकर पढ़ सकें। एेसे में एसडीएमसी के निर्णयानुसार कक्षा १ से ५वीं तक गढ़ में एवं कक्षा ६ से ८वीं तक घाटी भवन में पढऩे लगे। जब उच्च माध्यमिक विद्यालय हीरा बावड़ी बना तो उच्च प्राथमिक स्कूल को उसमें मर्ज कर दिया गया। अब वहां कक्षा ९ से १२वीं की पढ़ाई होती है। एेसे में स्कूल तीन जगह पर चल रहा है। एक ही विद्यालय होने से कूक कम हैल्पर अलग-अलग नहीं हो सकता है तो बच्चों को पोषाहार के लिए दौड़ाया जाता है।

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