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उदयपुर

DIWALI 2017: राजस्थान के सबसे प्राचीन महालक्ष्मी मंदिरों में शुमार है उदयपुर का ये मंदिर, यहां दीपावली पर जुटता है पूरा मेवाड़, video

महाराणा राजसिंह द्वितीय के काल में जगदीश मंदिर के साथ ही हुआ निर्माण

उदयपुरOct 16, 2017 / 03:25 pm

Dhirendra Joshi

mahalaxmi temple
 

उदयपुर . दीपावली पर महालक्ष्मीजी की विशेष आराधना की जाती है। उदयपुर के भटियानी चौहट्टा स्थित महालक्ष्मीजी मंदिर के प्रति मेवाड़ के साथ ही अन्य जिलों के श्रद्धालुओं की अपार आस्था है। मंदिर पर दीपोत्सव के तहत पांच दिन तक विशेष मेला लगता है लेकिन बहुत कम श्रद्धालु जानते हैं कि यह मंदिर प्रदेश में महालक्ष्मी के प्राचीन मंदिरों में से एक है। जानकारों के अनुसार इससे पुराना मंदिर मारवाड़ के भीनमाल में स्थित है।

महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कन्हैयालाल त्रिवेदी ने बताया कि यह मंदिर जगदीश मंदिर के निर्माण के समकक्ष तैयार किया गया था। इस मंदिर के सामने मौजूद गणपति का मंदिर निर्माण भी इसी समय हुआ था। उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में प्रदेश में इस मंदिर से प्राचीन मारवाड़ के भीनमाल में स्थित महालक्ष्मी मंदिर है। उन्होंने बताया कि श्रीमाली समाज के लोग मूलत: भीनमाल से ही निकले हैं। माता महालक्ष्मी इस समाज की कुलदेवी है।
अध्यक्ष डॉ. विजय श्रीमाली ने बताया कि भटियानी चौहट्टा स्थित महालक्ष्मी मंदिर महाराणा राजसिंह द्वितीय के समय करीब चार सौ वर्ष पूर्व बनाया गया। उस समय जगदीश मंदिर का भी निर्माण कार्य चल रहा था। ये जगदीश मंदिर से भी पुराना है।

लक्ष्मी के संभाग में अन्य मंदिर
उदयपुर संभाग में महालक्ष्मीजी के कुछ मंदिर और भी है, लेकिन इन मंदिरों का निर्माण गत सौ से डेढ़ सौ वर्ष के भीतर ही हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से चित्तौडगढ़़ किले के नीलकंठ महादेव मंदिर के समीप स्थित मंदिर, सलोदा, खमनोर के पास मजा गांव, देलवाड़ा के पास दाड़मी गांव, चित्तौडगढ़़ के बिलिया गांव और बांसवाड़ा के छींच क्षेत्र के महालक्ष्मी मंदिर प्रमुख हैं।
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दिन में तीन बार धराया जाएगा महालक्ष्मी को विशेष शृंगार

श्रीमाली जाति सम्पत्ति व्यवस्था ट्रस्ट अध्यक्ष डॉ. विजय श्रीमाली ने बताया कि दीपोत्सव के आयोजनों में मंगलवार को धनतेरस पर सुबह 4.30 बजे पट खुलेंगे, जो रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। सुबह, दोपहर और शाम को माताजी का शृंगार बदला जाएगा। यही क्रम रूप चतुर्दशी को भी रहेगा। दीपावली पर सुबह 4.30 बजे मंदिर खुलेगा। ट्रस्ट की ओर से 3.5 लाख रुपए का वेश धराया जाएगा। वेश सोने और चांदी के वर्क वाला है। रात 12.30 से 1.30 बजे तक माताजी का शयन होगा। इसके बाद सिंह लग्न में पुन: दर्शन शुरू होंगे, जो खेखरे पर दोपहर 3 बजे तक खुले रहेंगे। 3 से 5 बजे तक मंदिर के पट बंद रहेंगे। शाम पांच बजे अन्नकूट के दर्शन होंगे, जो देर रात जारी रहेंगे।
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