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उदयपुर

Holi Special : होली पर यहां चढ़ती है किन्नरों की बारात,जमरा बीज पर होगा आयोजन, video

वल्लभनगर क्षेत्र में सुख शांति के लिए होता है यह अनूठा आयोजन, भारी संख्या में जुटती है भीड़

उदयपुरMar 20, 2019 / 06:29 pm

madhulika singh

jamrabeej

धूमधाम से हुआ होलिका दहन, कल होगा धुलेंडी का धमाल

हेमंत गगन आमेटा भटेवर/उदयपुर. जिले के विभिन्न ग्रामीण अंचलों में त्यौहार पर कई ऐसी मान्यता व परम्परा है जिसका निर्वहन आज भी लोग करते आ रहे हैं। उदयुपर जिले के उपखण्ड क्षेत्र वल्लभनगर (उंठाला) में होली के त्यौहार पर कई वर्षों से चली आ रही परम्परा का आज भी चलन बरकरार है। वल्लभनगर के कबूतर चौक में सालों से चली आ रही परम्परा के रूप में इलाजी बावजी के स्थानक पर 22 मार्च शुक्रवार को क्षेत्र मेें रहने वाले किन्नरों की बारात चढ़ेगी। जिसको देखने के लिए कबूतर चौक-सब्जी मंडी में उपखण्ड क्षेत्र के कई गांवों व कस्बों से लोगों की भीड़ जमा होगी। वल्लभनगर कस्बे में प्रतिवर्ष होली के दहन के बाद धुलण्डी के अगले दिन जमरा बीज को इस कार्यक्रम का आयोजन होता है। जिसमें ग्रामीण पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं। वल्लभनगर क्षेत्र के लिए इस अनूठे आयोजन को शुभ माना जाता है जिसमें प्रतिवर्ष सुख शांति की कामना को लेकर यह आयोजन होता है।
इस तरह से होता है आयोजन:- रंगों के पर्व होली के त्योहार के अवसर पर जमरा बीज के दिन वल्लभनगर कस्बे से सर्व समाज के लोग गाजे बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ किन्नर राणी बाई के निवास स्थान पर पहुंचते हैं और राणी बाई सहित उनके सहयोगियों को बारात सजाकर कबूतर चौक में इलाजी बावजी के यहां लोक गीतों पर लोकनृत्य करते हुए आने का निमंत्रण दिया जाता है। लेकिन परम्परा के अनुसार पहले निमंत्रण में किन्नर बारात लेकर नही आते हैं इसके बाद पुन: ग्रामवासी निमंत्रण देते हैं इसी तरह यह सिलसिला तीन बार तक चलता है जिसमे तीसरा और अंतिम निमंत्रण देने के बाद रात्रि को किन्नर राणी बाई अपने सहयोगी कई किन्नरों के साथ कस्बे के लोग जिस रास्ते से उनको निमंत्रण देने गए उसके विपरीत दिशा में विशेष वेशभूषा में होली के गीतों की प्रस्तुति देने के लिए कबूतर चौक स्थित इलाजी बावजी के आगे नाचते गाते हुए पहुचते हैं। यहां पर सबसे पहले इलाजी बावजी की विशेष पूजा अर्चना करने के बाद बावजी पर गुलाल व अभिर फूलो से वर्षा कर फाग खेलाइ जाती है। इसके बाद कबूतर चौक में किन्नरों द्वारा इलाजी बावजी को नमन करते हुए होली के लोक गीतों पर नृत्यों की प्रस्तुती दी जाती है जो की देर रात तक चलती है। जिसमें किन्नरों द्वारा पारम्परिक होली के गीतों, राजस्थानी गीतों के साथ बॉलीबुड गीतों पर नृत्य करते हुए होली के त्यौहार को मनाया जाता है। इसी बिच ग्रामीणों द्वारा पूरे उत्साह के साथ किन्नरों की बारात में शरीक होते हुए उन पर गुलाल व फूलों की वर्षा की जाती है। इसको देखने के लिए वल्लभनगर सहित भटेवर, करणपुर, नवानिया, रुन्डेडा, तारावट, मोरजाई, धमानिया, रणछोडपुरा सहित विभिन्न गाँवो से लोगो की भीड़ देर रात तक कबूतर चौक में जमा रहती है।
इसके पीछे यह है मान्यता:- किन्नर राणी बाई ने बताया कि जमरा बीज पर वल्लभनगर के कबूतर चौक में इलाजी बावजी के यहां बारात के रूप में नृत्य करने की परंपरा हमारे गुरु के समय से चली आ रही है जिसको निभाते हुए आगे भी जारी रखेंगे। इलाजी बावजी के स्थानक पर हमारे गुरूओ द्वारा पूर्व में जमरा बिज पर नमन करते हुए क्षेत्र में सुख शांति के लिए कामना करते हुए उनके समक्ष नृत्य करके उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की गई थी। इसके बाद से हर साल जमरा बीज पर यह अनूठा आयोजन किया जाता है जिसमे समस्त ग्रामवासी शरीक होते हुए त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
वल्लभनगर क्षेत्र में सुख शांति के लिए होता है यह अनूठा आयोजन, भारी संख्या में जुटती है भीड़
उदयपुर जिले के विभिन्न ग्रामीण अंचलों में त्यौहार पर कई ऐसी मान्यता व परम्परा है जिसका निर्वहन आज भी लोग करते आ रहे हैं। उदयुपर जिले के उपखण्ड क्षेत्र वल्लभनगर (उंठाला) में होली के त्यौहार पर कई वर्षों से चली आ रही परम्परा का आज भी चलन बरकरार है। वल्लभनगर के कबूतर चौक में सालों से चली आ रही परम्परा के रूप में इलाजी बावजी के स्थानक पर 22 मार्च शुक्रवार को क्षेत्र मेें रहने वाले किन्नरों की बारात चढ़ेगी। जिसको देखने के लिए कबूतर चौक-सब्जी मंडी में उपखण्ड क्षेत्र के कई गांवों व कस्बों से लोगों की भीड़ जमा होगी। वल्लभनगर कस्बे में प्रतिवर्ष होली के दहन के बाद धुलण्डी के अगले दिन जमरा बीज को इस कार्यक्रम का आयोजन होता है। जिसमें ग्रामीण पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं। वल्लभनगर क्षेत्र के लिए इस अनूठे आयोजन को शुभ माना जाता है जिसमें प्रतिवर्ष सुख शांति की कामना को लेकर यह आयोजन होता है।

इस तरह से होता है आयोजन:-

रंगों के पर्व होली के त्योहार के अवसर पर जमरा बीज के दिन वल्लभनगर कस्बे से सर्व समाज के लोग गाजे बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ किन्नर राणी बाई के निवास स्थान पर पहुंचते हैं और राणी बाई सहित उनके सहयोगियों को बारात सजाकर कबूतर चौक में इलाजी बावजी के यहां लोक गीतों पर लोकनृत्य करते हुए आने का निमंत्रण दिया जाता है। लेकिन परम्परा के अनुसार पहले निमंत्रण में किन्नर बारात लेकर नही आते हैं इसके बाद पुन: ग्रामवासी निमंत्रण देते हैं इसी तरह यह सिलसिला तीन बार तक चलता है जिसमे तीसरा और अंतिम निमंत्रण देने के बाद रात्रि को किन्नर राणी बाई अपने सहयोगी कई किन्नरों के साथ कस्बे के लोग जिस रास्ते से उनको निमंत्रण देने गए उसके विपरीत दिशा में विशेष वेशभूषा में होली के गीतों की प्रस्तुति देने के लिए कबूतर चौक स्थित इलाजी बावजी के आगे नाचते गाते हुए पहुचते हैं। यहां पर सबसे पहले इलाजी बावजी की विशेष पूजा अर्चना करने के बाद बावजी पर गुलाल व अभिर फूलो से वर्षा कर फाग खेलाइ जाती है। इसके बाद कबूतर चौक में किन्नरों द्वारा इलाजी बावजी को नमन करते हुए होली के लोक गीतों पर नृत्यों की प्रस्तुती दी जाती है जो की देर रात तक चलती है। जिसमें किन्नरों द्वारा पारम्परिक होली के गीतों, राजस्थानी गीतों के साथ बॉलीबुड गीतों पर नृत्य करते हुए होली के त्यौहार को मनाया जाता है। इसी बिच ग्रामीणों द्वारा पूरे उत्साह के साथ किन्नरों की बारात में शरीक होते हुए उन पर गुलाल व फूलों की वर्षा की जाती है। इसको देखने के लिए वल्लभनगर सहित भटेवर, करणपुर, नवानिया, रुन्डेडा, तारावट, मोरजाई, धमानिया, रणछोडपुरा सहित विभिन्न गाँवो से लोगो की भीड़ देर रात तक कबूतर चौक में जमा रहती है।
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इसके पीछे यह है मान्यता:-

किन्नर राणी बाई ने बताया कि जमरा बीज पर वल्लभनगर के कबूतर चौक में इलाजी बावजी के यहां बारात के रूप में नृत्य करने की परंपरा हमारे गुरु के समय से चली आ रही है जिसको निभाते हुए आगे भी जारी रखेंगे। इलाजी बावजी के स्थानक पर हमारे गुरूओ द्वारा पूर्व में जमरा बिज पर नमन करते हुए क्षेत्र में सुख शांति के लिए कामना करते हुए उनके समक्ष नृत्य करके उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की गई थी। इसके बाद से हर साल जमरा बीज पर यह अनूठा आयोजन किया जाता है जिसमे समस्त ग्रामवासी शरीक होते हुए त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

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