जानकारी के अनुसार भावेश का जन्म नारायण देसाई के घर 1994 में डूंगरपुर के हथाई गांव में हुआ। बचपन से ही भगवान ने उसे आंखों की रोशनी नहीं दी। ऐसे में उसकी दुनिया में अंधेरा छा गया। भावेश के पिता अहमदाबाद में एक फेक्ट्री में काम करते थे। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा इसकी वहीं हुई। इसके बाद वे उदयपुर आ गए। भावेश जैसे-जैसे बड़ा हुआ। उसे कुछ करने की चिंता सताने लगी। परिजनों ने उसे उदयपुर में प्रज्ञा चक्षु अंध विद्यालय में दाखिला दिलाया। उसने यहां 9 से 11वीं तक अध्ययन किया। इसके बाद 12वीं की पढ़ाई डूंगरपुर से की। यहां से वह फिर उदयपुर आया ओर ग्रजुऐशन मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय से की। भावेश का जुड़ाव उदयपुर से इतना गहरा हो गया कि उसने अंधे बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया। उसने एनजीओ शुरू कर उनकी मदद की।
आरएएस बनने की तमन्ना रह गई अधूरी, प्रयास जारी
भावेश ने बताया कि उसने 12वीं की पढ़ाई करने के बाद आरएएस परीक्षा की तैयारी 2015 से शुरू की। 2018 में आरएएस प्री क्लियर किया। मैन परीक्षा में सिर्फ तीन नंबर से रह गया। ये पढ़ाई भी संघर्ष भरी रही। लेकिन इसके बाद उसने शिक्षक बनने की ठानी। 2022 में लेवल टू रीट अंग्रेजी में सफलता हासिल की। अंग्रेजी का शिक्षक बना और सामान्य बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे ब्रेल लिपि से सामान्य बच्चों को पढ़ाते हैं। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग डूंगरपुर के राउमावि अमरतियां में अध्यापन कार्य करवा रहा है।
रात को भजन से कमाई, दिन में पढ़ाई
भावेश पहले प्रोफेशनल सिंगर था। वह उदयपुर शहर में ही शाम को भजन संध्या में जाकर भजन सुनाता था। इससे उसका गुजारा अच्छा चल रहा था। वह भजन संध्या में हुई कमाई का हिस्सा अपनी पढाई की तैयारी पर खर्च किया करता था। इसी कमाई से उसने शिक्षक बनकर खुद का साबित कर दिखाया। कोरोना के बाद बैंक पीओ परीक्षा पास की लेकिन साक्षात्कार में मात्र ढाई नंबर से रह गया। भावेश उदयपुर के बड़गांव में रहता है और वह सप्ताह में आता-जाता रहता है।दो भाई और दो बहन हैं। वे सबसे छोटे हैं।